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शारदीय नवरात्र शुरू: आज इस शुभ मुहूर्त में करें घट स्थापना, ये रही आसान विधि
Shardiya Navratri: हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है। इस साल महाशक्ति के पर्व नवरात्र आज से शुरू हो गए हैं। दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है। इसे कलश स्थापना भी कहा जाता है। इसके लिए कुछ सामग्री की आवश्यकता होती है। इन में जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश, पानी वाला नारियल, रोली या कुमकुम, आम के 5 पत्ते, नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपड़ा ,लाल सूत्र/मौली, साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के,कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ।
शारदीय नवरात्र पर इस बार एक या दो नहीं बल्कि 5 शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सूर्य व बुध ग्रह की युति से बुधादित्य योग, भद्र राजयोग, चंद्र मंगल की युति से धन योग, चंद्रमा, बुध और सूर्य की युति से त्रिग्रही योग और गुरु व चंद्रमा एक दूसरे केंद्र भाव में होने पर गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। इन शुभ योग में मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
घटस्थापना 2025 शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्र में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त झ्र सुबह 06 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 06 मिनट. अवधि 1 घंटे 56 मिनट तक ।
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक

हाथी पर सवार होकर आ रही माता रानी
ऐसी मान्यता है कि माता रानी हर वर्ष अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं। इस बार नवरात्र में माता रानी हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा के वाहन का विशेष महत्व होता है, जो वर्ष की सामाजिक और प्राकृतिक परिस्थितियों की झलक देता है। माना जा रहा है कि देश में अच्छी वर्षा होगी, कृषि क्षेत्र में उन्नति होगी और समृद्धि के योग बनेंगे।
नवरात्रों के दौरान देवी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसलिए नवरात्र को नवदुर्गा भी कहा जाता है। नवरात्रों में प्रथमं शैलपुत्री च, द्वितीयं ब्रह्मचारिणी, तृतीयं चन्द्रघण्टेति, चतुर्थकम् कूष्माण्डेति, पञ्चमं स्कन्दमातेति, षष्ठं कात्यायनीति च, सप्तमं कालरात्रीति, चाष्टमम् महागौरीति और नवमं सिद्धिदात्री
नवरात्र के दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें और चौकी पर माता की मूर्ति स्थापित करें।
नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश स्थापित किया जाता है। मान्यता है कि कलश में दैवीय शक्तियां विराजमान होती हैं।

कलश को स्थापित करने से पहले मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं तथा उसके बीचों बीच कलश स्थापित करें। इस दौरान ॐ भूम्यै नमः मंत्र का जाप करें।
कलश स्थापना से पहले स्वास्तिक बनाएं, इसमें दो सुपारी, मोली, सिक्के और अक्षत डालें।
गंगाजल छिड़कते हुए ॐ वरुणाय नमः का जाप करें। फिर माता की लाल चुनरी से लपेट दें।
कलश पूजन के बाद नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे!’ का जाप करें।
मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने अखंड दीप प्रज्जवलित कर धूप दीप और आरती करें।
नवरात्र के नौ दिनों में मां को भोग लगाकर प्रसाद बांटें।नवरात्र में मां की कृपा से आत्मबल, सही कर्म करने की शक्ति, सही कर्म का ज्ञान प्राप्त होता है। ध्यान रखें कि माता की पूजा करते समय हमारा मुख दक्षिण या पूर्व दिशा में ही रहे। पूर्व दिशा की ओर मुख कर मां का ध्यान करने से चेतना जागृत होती है। दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पूजन करने से मानसिक शांति मिलती है।
नवरात्र के नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस बात का खास ख्याल रखें कि मां दुर्गा की पूजा के लिए स्टील के सामान का प्रयोग करें। प्लास्टिक के सामान प्रयोग न करें।
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