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चुनावी साल में सस्ता होगा खाने का तेल, सरकार ने घटाई इंपोर्ट ड्यूटी
नई दिल्ली। चुनावी साल में सरकार पूरी तरह से कोशिश कर रही है कि किसी भी तरह से खाद्य तेलों (Edible Oil) की कीमतों में गिरावट बनी रहे। इसी कड़ी में सरकार ने बुधवार को रिफाइन्ड सोया (Refined Soya) और सूरजमुखी ऑयल (Sunflower Oil) पर इंपोर्ट ड्यूटी (Import Duty) को 17.5% से घटाकर 12.5% कर दिया है। ऐसे में आने वाले दिनों में खाने के तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है। भारत मुख्य रूप से अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात करता है।
गौरतलब है कि भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा खरीदार है और अपनी मांग का लगभग 60% आयात करता है। कुल आयात में कच्चे तेल और रिफाइंड तेल की हिस्सेदारी 75% और 25% है। भारत में सालाना खपत 2.4 करोड़ टन है। सरकार ने हाल ही में खाद्य तेल उत्पादकों के साथ बैठक कर उनसे कहा भी है कि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में जो गिरावट आ रही है, उसके मद्देनजर वे कीमतें कम करें। अब सरकार ने आयात भी सस्ता कर दिया है। इससे खाद्य तेलों की कीमतें नीचे आएंगी।
Food Corporation of India (FCI) गेहूं और चावल की कीमतों को कम करने के लिए जरूरत के हिसाब से केंद्रीय पूल स्टॉक से इनकी बिक्री प्राइवेट पार्टियों को करेगा। मगर केंद्र ने राज्य सरकारों को ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी है। FCI की ओर से जारी एक हालिया आदेश के अनुसार राज्य सरकारों के लिए OMSS (घरेलू) के तहत गेहूं और चावल की बिक्री बंद कर दी गई है। सरकार ने OMSS के तहत केंद्रीय पूल से 15 लाख टन गेहूं की बिक्री ई-नीलामी के माध्यम से आटा मिलों, निजी व्यापारियों और गेहूं उत्पादों के मैन्युफैक्चरर को करने की घोषणा की थी। हालांकि, इसने OMSS के तहत बिक्री के लिए इन व्यापारियों के लिए चावल की मात्रा तय नहीं की थी।
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