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हाटी को जनजाति का दर्जा देने के लिए खिलाफ लामबंद हुए गुर्जर
नाहन। हिमाचल में हाटी समुदाय (Hatti Community In Himachal Pradesh) को जनजाति का दर्जा देने के विरोध में गुर्जर समुदाय (Gurjar Community) फिर लामबंद हो गया है। गुर्जर समाज ने आरटीआई से जुटाए तथ्यों के आधार पर हाटी को जनजाति का दर्जा देने पर कई सवाल उठाए हैं। इस दौरान पदाधिकारियों ने साफ कहा कि हाटी कोई जाति नहीं और न ही इसका राजस्व रिकार्ड में कोई जिक्र है। जब हाटी नाम का कोई समुदाय नहीं, कोई इतिहास और सामाजिक अस्तित्व (Social Existence) नहीं तो फिर इसे जनजाति कैसे घोषित किया गया।
गुर्जर समाज के पदाधिकाधिकारियों ने कहा कि आरजीआई भी इस मामले को तीन बार अस्वीकार कर चुकी थी। बावजूद इसके, हाटी को जनजातीय का दर्जा (ST Status) मिला। ये सीधा-सीधा गुर्जरों के अधिकारियों का हनन है। नाहन में युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोरसी, सिरमौर गुर्जर कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष हेमराज और महासचिव सोमनाथ भाटिया ने कहा कि तथाकथित हाटी समुदाय को दिया आरक्षण संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।
सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं होने का दावा
लोकुर कमेटी के मापदंडों को भी तथाकथित हाटी समुदाय पूरा नहीं करता। सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें एसटी बनाया जा रहा है। उन्होंने आरटीआई से सारी जानकारी (RTI Information) जुटाई है। सभी तथ्य उनके पास मौजूद हैं। आरटीआई से जुटाए तथ्यों में भी हाटी जाति या समुदाय राजस्व या किसी अन्य सरकारी रिकॉर्ड (Govt Records) में दर्ज नहीं है। ऐसे में अधिसूचना को कैसे लागू किया जाएगा। अनिल गोर्सी ने कहा कि उनके द्वारा जो आरटीआई से जानकारी ली गई है, उसमें कहीं भी हाटी जाति का कोई उल्लेख नही है।
केंद्र से पुनर्विचार करने की मांग
अनिल गोरसी ने कहा कि जैसे केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) में पहाड़ी समुदाय को एसटी में डालने वाले विधेयक को गुज्जर बकरवाल समुदाय के विरोध के बाद वापस लिया, उसी तर्ज पर हिमाचल की जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए हाटी आरक्षण पर भी केंद्र सरकार पुनर्विचार करे।