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हिमाचल: अपाहिज को ना मिली व्हील चेयर, ना बना रास्ता, सिर्फ हवा में झूलते रहे आश्वासन
हमीरपुर। हिमाचल के हमीरपुर जिला में प्रदेश सरकार के दिव्यांगों के लिए किए जा रहे बड़े बड़े दावे खोखले नजर आ रहे हैं। हिमाचल सरकार (Himachal Govt) के दिव्यांगों को हर सुविधा उनके घर द्वार पर उपलब्ध करवाने के दावों की पोल हमीरपुर व बिलासपुर जिला की सीमा पर स्थित घंडालवीं गांव में खुलती नजर आ रही है। गांव की अपाहिज पिंगला देवी को चार कदम चलने के लिए उचित रास्ते तक की व्यवस्था आज तक नही हो पाई है। सरकार ने महज दिव्यांगता पेंशन (Handicapped Pension) देकर इस विकलांग महिला को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है। अपाहिज पिंगला देवी को एक अदद व्हीलचेयर तक सरकार की तरफ से नहीं मिल पाई है। इस अपाहिज (Handicap) को विकलांगता ने इतना हतोत्साहित नहीं किया जितना सरकार के रवैये ने किया है। अपने रास्ते की मांग को पिंगला देवी ने जनमंच सहित मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी संपर्क किया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिले।
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आलम यह है कि यदि महिला बीमार पड़ जाए तो वह अस्पताल तक नहीं पहुंच सकती। हमीरपुर व बिलासपुर जिला की सीमा पर स्थित घंडालवीं गांव से संबंधित पिंगला के घर को जाने वाला रास्ता इतना संकरा है कि यह दिव्यांग उस रास्ते पर किसी भी तरह से चल नहीं सकती। सड़क (Road) मार्ग तक पहुंचने के लिए करीब 100 से 150 मीटर तक का रास्ता तय करना पड़ता है। पिंगला अपने परिवार में सिर्फ अकेली महिला है। इनके माता-पिता वर्षों पहले गुजर चुके हैं तथा परिवार में अब इनके सिवाए और कोई नहीं। किसी तरह से विकट पस्थितियों में जीवन काट रही महिला सरकार की नजर-ए-इनायत को तरस रही है।
सरकार से मांग रही व्हीलचेयर और थ्री व्हील व्हीकल
वर्तमान हालात ऐसे हैं कि महिला कुछ दिनों से बीमार चल रही है। इसका पांव घर में ही जल गयाए लेकिन दवाई लाने वाला कोई नहीं है। पिंगला देवी ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा कि उसके घर के लिए उचित रास्ते का निर्माण किया जाए। इसके साथ ही व्हीलचेयर और थ्री व्हील व्हीकल (Three Wheeler Vehicle) की व्यवस्था की जाएए ताकि यह अपना जीवन सरल तरीके से जी सके। उन्होंने बताया कि रास्ते की समस्या को लेकर जनमंच व 1100 नंबर पर बात की मगर आजतक कुछ भी नही हुआ।
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14 साल की उम्र में हो गई थी अपाहिज
बता दे कि पिंगला देवी महज 14 साल की उम्र में अपाहिज हो गई थीं। महिला 14 साल की उम्र में गिर पड़ी थी, जिस कारण उसकी रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट लग गई थी। बाद में इसी चोट की वजह से महिला का आधा शरीर अपाहिज हो गया। जब तक माता-पिता की सांसे चली बेटी का पालन पोषण होता रहा। माता-पिता के गुजर जाने के उपरांत अकेले जीवन जी रही पिंगला देवी की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। अपाहिज महिला के घर तक रास्ता तो जाता है, लेकिन इस रास्ते पर चलना संभव नहीं। रास्ता काफी संकरा होने के चलते इसका प्रयोग महिला के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। वर्तमान हालात ऐसे हैं कि महिला का पांव जला हुआ है, किसी तरह से स्वयं के लिए दो वक्त का खाना महिला बना रही है। दिव्यांगता के साथ जीवन के 45 साल संघर्ष कर चुकी पिंगला देवी अब ढलती उम्र के साथ कमजोर होती जा रही हैं। अब पिंगला देवी की सारी उम्मीदें सरकार से लगी हुई हैं।
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