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हिमाचल हाईकोर्ट: शिमला में एंबुलेंस के 20 मिनट फंसे रहने पर सरकार से मांगा जवाब
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला (Shimla) के लोअर बाजार में महिला मरीज को लेने पहुंची एंबुलेंस (Ambulances) के 20 मिनट तक फंसे रहने के मामले में राज्य सरकार सहित नगर निगम शिमला से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने दैनिक समाचार पत्रों में छपी खबर पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किए। खबर के अनुसार घटना के दिन महिला की हालत काफी गंभीर थी, लेकिन बाजार से एंबुलेंस को महिला मरीज तक पहुंचने में 20 मिनट का समय लग गया। बाजार में दुकानदारों द्वारा बाहर सामान लगाए जाने की वजह से एंबुलेंस काफी देर तक एक ही जगह पर अटकी रही। मौके पर मौजूद लोगों की मदद से एम्बुलेंस को निकाला गया था।
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महिला को बड़ी मुश्किल से एंबुलेंस में बैठा कर अस्पताल ले जाया गया। हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों के तहत दुकानों के बाहर सामान रखने की साफ मनाही है, लेकिन फिर भी ग्राहकों को लुभाने के लिए दुकानदार सड़कों पर दुकानों के बाहर सामान सजा देते हैं। कोर्ट ने मामले की गम्भीरता और अपने पुराने आदेशों की अक्षरश अनुपालना न होने पर नगर निगम से 28 अगस्त तक जवाब दायर करने के आदेश दिए।
पहली अगस्त के लिए टली सुनवाई
हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) के समक्ष मानव भारती विश्विद्यालय के प्रभवित छात्रों को परीक्षा प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज मुहैया करवाने के आग्रह से जुड़े मामले में सुनवाई पहली अगस्त के लिए टल गई है। मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ फर्जी डिग्री घोटाले को लेकर चल रही जांच से प्रभावित कुछ छात्रों ने प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। जिसे मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जनहित याचिका स्वीकार करते हुए प्रधान सचिव शिक्षा, पुलिस महानिरीक्षक व मानव भारती विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करने के पश्चात जवाब तलब किया था। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में अलग अलग वर्ग के लगभग 26 छात्रों द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि मानव भारती विश्वविद्यालय (Manav Bharati University) द्वारा बरती कथित अनियमितताओं के चलते उनका भविष्य धूमिल हो रहा है क्योंकि उन्होंने वर्ष 2019, 2020 और 2021 में जो परीक्षाएं उत्तीर्ण की है उनसे संबंधित उन्हें मानव भारती की ओर से प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए हैं।
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जब छात्रों ने इस बाबत मानव भारती विश्वविद्यालय से पूछा तो उन्हें यह बताया गया कि मानव भारती विश्वविद्यालय के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज होने के चलते विश्वविद्यालय का तमाम रिकॉर्ड एसआईटी के पास चला गया है और वह उनको उनकी परीक्षाओं से जुड़े प्रमाण पत्र जारी करने में असफल है। मानव भारती की ओर से प्रदेश उच्च न्यायालय के समक्ष दाखिल किए गए जवाब में भी यह आग्रह किया गया है कि पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वह इस मामले से संबंधित जांच को जल्द से जल्द पूरा करें ताकि संबंधित छात्रों को उनकी डिग्री, मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज समय पर जारी किए जा सके।