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हिमाचल में बेरोजगार ग्रामीण MNREGA के तहत अपनी भूमि पर कर सकते हैं कार्य
Last Updated on June 6, 2020 by Deepak
शिमला। राज्य सरकार ने इच्छुक बेरोजगार ग्रामीणों को मनरेगा (MNREGA) के अंतर्गत अपनी भूमि में कार्य करने की स्वीकृति प्रदान की है। ये कार्य ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की शेल्फ में शामिल ना होने पर भी किए जा सकेंगे। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने आज यहां ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान 260 लाख कार्य दिवसों का सृजन कर कुल 859 करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की गई, जबकि इस वित्त वर्ष अभी तक मनरेगा के अंतर्गत 54 करोड़ रुपए खर्च करके 22 लाख कार्य दिवस सृजित किए जा चुके हैं।
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बचे शेष जिलों में शीघ्र होगी लोकपाल की नियुक्ति
जयराम ठाकुर ने कहा कि विभाग ने मनरेगा के तहत हुए कार्यां में गुणवत्ता सुधार के लिए एक गुणवत्ता नियंत्रण प्रकोष्ठ (सेल) स्थापित किया है। प्रदेश के छः जिलों- बिलासपुर (Bilaspur), हमीरपुर, कांगड़ा (Kangra), मंडी, शिमला और सोलन (Solan) में लोकपाल नियुक्त किए गए हैं तथा बचे शेष जिलों में शीघ्र ही लोकपाल की नियुक्ति की जाएगी। सीएम ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग ने भी मनरेगा के अंतर्गत बनी लोक निर्माण विभाग (PWD) की सड़कों और जल शक्ति विभाग की ट्रेंचिज के रख-रखाव के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मनरेगा कार्य में पारदर्शिता सुनिश्चित बनाने के लिए विभाग ने सिक्योर सॉफ्टवेयर लागू किया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के अंतर्गत शत-प्रतिशत कार्य सीधे हंस्तातरण (डीबीटी) के माध्यम किया जा रहा है। कार्य स्थल पर मनरेगा कार्यकर्ताओं को घर में निर्मित फेस कवर, साबुन और जल आदि प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भवन और अन्य सन्निर्माण कल्याण बोर्ड के अंतर्गत पंजीकृत 12,835 मनरेगा कार्यकर्ताओं ने 90 दिन का कार्य पूर्ण किया है।
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मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 610 भवनों का निर्माण किया
उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष (Financial Year) के दौरान मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 610 भवनों का निर्माण किया गया जबकि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान गरीबों की सुविधा के लिए 998 भवनों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। विभिन्न आवास योजनाओं के अंतर्गत गृह निर्माण के कार्य में गुणवत्ता व सुधार लाने के लिए विभाग इच्छुक ग्रामीण राज-मिस्त्रियों को प्रशिक्षित करने की भी योजना बना रहा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन और मनरेगा के अभिसरण से मुख्यमंत्री एक बीघा योजना आरंभ की है। अभी तक 2000 महिला स्वयं सहायता समूहों (Women Self Help Groups) ने इस योजना के अंतर्गत आवेदन किया है। सरकार ग्रामीण गरीबों को न्यूनतम वेतन से अधिक देने के लिए औपचारिक क्षेत्र में कौशल और रोजगार प्रदान करने पर विशेष बल दे रही है। उन्होंने कहा कि उन्नति परियोजना के अंतर्गत युवाओं को नए ट्रेड जैसे- फैशन डिजाइनिंग, सहायक हेयर-स्टाइलिस्ट, मल्टी-स्किल तकनीशियन, डेयरी प्रोसेसिंग उपकरणों आदि में प्रशिक्षित करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
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पंचायतें अपने राजस्व संसाधनों को बढ़ाने का करे प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत एक विशेष पहल की है तथा जल शक्ति विभाग को मंडी (Mandi) जिला के थुनाग, धर्मपुर और जंजैहली और ऊना जिला के बंगाणा में पायलट आधार पर मल-संयंत्र स्थापित करने के लिए 23.70 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। सड़कों के किनारे सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए शिमला (Shimla), सोलन, सिरमौर और ऊना (Una) जिलों के लिए एक-एक करोड़ रुपए की परियोजना स्वीकृत की गई है। पंचायतों के समावेशी स्थानीय शासन की क्षमताओं में वृद्धि पर बल देते हुए सीएम ने कहा कि उपलब्ध संसाधनों और अभिसरण योजनाओं के अधिकतम उपयोग के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि पंचायतों को भी अपने राजस्व संसाधनों को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए।
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तकनीकी स्वीकृतियों में विलंब रोकने के लिए प्रभावी तंत्र की जरूरत
ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर (Virendra Kanwar) ने कहा कि विभिन्न तकनीकी स्वीकृतियों में विलंब रोकने के लिए प्रभावी तंत्र बनाने की आवश्यकता है, ताकि कार्य शीघ्र आरंभ हो सकें। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश मनरेगा के अंतर्गत 100 दिनों की सीमा को 120 दिनों तक करने में अग्रणी राज्य रहा है। ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के सचिव डॉ. सदीप भटनागर ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। निदेशक ग्रामीण विकास और पंचायती राज ललित जैन ने विभाग की विभिन्न गतिविधियों की प्रस्तुति दी। मुख्य सचिव अनिल खाची, प्रधान सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।