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हिमाचल हाईकोर्ट ने इस हाइड्रो प्रोजेक्ट को लगाई 50 हजार की कास्ट, खारिज की याचिका
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर मैसर्ज गुनाल हाइड्रो पावर प्राइवेट लिमिटेड (Hydro Power Private Limited) की याचिका को 50 हजार की कास्ट के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट ने जांच अधिकारी को निलंबित करने और उसके खिलाफ नियमित जांच शुरू करने के भी आदेश (Order) दिए। कंपनी की याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि 22 मार्च, 2022 को रायसन और बेंची गांव के कुछ ग्रामीण निर्माण स्थल पर आए और मजदूरों को पीटना शुरू कर दिया और उनके द्वारा उठाए गए लेबर शेड को ध्वस्त कर दिया। प्रार्थी कंपनी द्वारा मामले की सूचना पुलिस स्टेशन, पाटलीकुहल को दी गई और एक प्राथमिकी संख्या 37 / 2022 दिनांक 18 अप्रैल, 2022 दर्ज की गई। प्रार्थी कंपनी ने राज्य के अधिकारियों को एक तपन महंत और ग्राम पंचायत बेंची के ग्रामीणों को आगजनी, गाली-गलौज, हिंसा, अनधिकृत संयम, काम को रोकने और श्रमिकों को रोकने के रूप में कार्य स्थल, कार्यालय और आवासीय क्षेत्र के 500 मीटर के भीतर अवैध गतिविधियों को करने से रोकने के लिए राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
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प्रार्थी कंपनी के कथन को सत्य मानते हुए न्यायालय ने दिनांक 10 मई, 2022 को उक्त नामित प्रतिवादियों को निर्माण स्थल के 500 मीटर के दायरे में प्रवेश करने से रोकने का आदेश पारित किया। इस बीच 19 अगस्त, 2022 को ग्रामीणों के परियोजना स्थल में प्रवेश करने के आरोप पर याचिकाकर्ता-कंपनी के प्रबंधक द्वारा दायर एक शिकायत (Complaint) के आधार पर 22 अगस्त, 2022 को मामले में एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने हालांकि, सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता और पुलिस अधिकारियों द्वारा अदालत के आदेशों का दुरुपयोग किया। याचिकाकर्ता-कंपनी के महाप्रबंधक और अदालत में मौजूद जांच अधिकारी, आरोपों को साबित करने में विफल रहे कि 19 अगस्त, 2022 को कोई अप्रिय घटना हुईए जैसा कि याचिकाकर्ता द्वारा अन्यथा आरोप लगाया गया था, जिसके आधार पर प्राथमिकी संख्या 94/2022 में पंजीकृत होने के लिए आया था।
कोर्ट ने आगे कहा कि 19 अगस्त, 2022 को एसएचओ पाटलीकुहल द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट के अनुसार कभी भी कुछ भी अप्रिय नहीं हुआ और याचिकाकर्ता और जांच अधिकारी के आचरण को निंदनीय पाया। इन तथ्यों के दृष्टिगत न्यायालय ने याचिका को 50,000/- रुपये की कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया। कोर्ट (Court) ने जांच अधिकारी के आचरण को एक पुलिस अधिकारी के लिए अशोभनीय पाया और इसलिए पुलिस अधीक्षक, कुल्लू को निर्देश दिया कि वह उसे निलंबित कर दें और उसके खिलाफ कर्तव्यों में लापरवाही और अदालत के आदेशों का दुरुपयोग करने के लिए नियमित जांच करें। जांच कार्य पुलिस उपाधीक्षक के पद से नीचे के अधिकारी द्वारा नहीं किया जाए और इसे दो महीने की अवधि के भीतर अंजाम दिया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जांच अधिकारी के खिलाफ व्यक्त किए गए उपरोक्त विचार केवल संभावित हैं और किसी भी आरोप या प्रयास के लिए इसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। जांच अधिकारी, यदि दुर्व्यवहार का दोषी पाया जाता है, तो उसे उचित अवसर प्रदान करने के बाद जांच में साबित किया जाना है। इस संबंध में अनुपालना रिपोर्ट 23.11.2022 को तलब की है।
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