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हिमाचल हाईकोर्ट आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त ट्रिब्यूनल के आदेशों की करें अनुपालना
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना ना करने पर कड़ा संज्ञान लिया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने आबकारी एवं कराधान सचिव व आयुक्त को आदेश जारी किए हैं कि वह ट्रिब्यूनल (Tribunal) के आदेशों की अनुपालना 12 दिसंबर, 2022 से पहले पहले करें। अन्यथा वह इस तारीख को कोर्ट के समक्ष अदालती आदेशों की अवहेलना करने के लिए उनके खिलाफ लगने वाले चार्ज का जवाब देने के लिए कोर्ट (Court) के समक्ष पेश हों। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 16 नवंबर 2016 को तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए वर्ष 1974 में बनाए गए भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के तहत पदोन्नति लाभ देने के आदेश जारी किए थे। वितीय लाभ भी पदोन्नति की तारीख से दिए जाने के आदेश जारी किए थे।
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ट्रिब्यूनल के आदेशों के अनुपालना में प्रार्थी को 22 जुलाई 1994 से वरिष्ठ सहायक के पद पर, 20 फरवरी 2006 से अधीक्षक ग्रेड 2 के पद पर व 12 अगस्त 2009 से आबकारी एवं कराधान अधिकारी (Excise and Taxation Officer )के तौर पर पदोन्नत तो कर दिया गया मगर उस को दिए जाने वाले वित्तीय लाभ उसके द्वारा दायर की गई याचिका के पिछले 3 सालों से देने का निर्णय लिया। प्रार्थी ने इस निर्णय के खिलाफ प्रतिवादियों को प्रतिवेदन भेजा मगर प्रार्थी द्वारा वर्ष 2022 में दायर की गई अनुपालना याचिका के पश्चात 29 अक्टूबर 2022 को उसके प्रतिवेदन को यह कहकर खारिज कर दिया कि वित्त विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशानुसार वह केवल 3 साल के ही वित्तीय लाभ लेने का हक रखता है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने हैरानी जताई कि आबकारी एवं कराधान आयुक्त प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ गया जबकि प्रशासनिक प्राधिकरण ने अपने आदेशों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा था कि प्रार्थी के वित्तीय लाभों को केवल 3 साल के लिए ही मान्य किया गया है। जब प्रशासनिक प्राधिकरण ने इस तरह के आदेश पारित नहीं कर रखे थे तो आबकारी एवं कराधान विभाग का कोई ऐसा विशेषाधिकार नहीं बनता था कि वह प्रशासनिक प्राधिकरण के निर्णय को दबा कर बैठ जाता। हाईकोर्ट ने अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि 12 दिसंबर 2022 से पहले पहले प्रशासनिक प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना की जाए, नहीं तो दोनों प्रतिवादीगण उनके खिलाफ अदालती आदेशों की अवहेलना के लिए चलाए जाने वाली कार्रवाई के लिए कोर्ट के समक्ष पेश हो।
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