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हिमाचल में नशामुक्ति केंद्रों की बदहाली: हाईकोर्ट सरकार से मांगी जानकारी
शिमला। वित्तीय तंगी के कारण नशामुक्ति केंद्रों (Drug De-addiction Centers) की दयनीय स्थिति से जुड़े मामले में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने सरकार से पूछा है कि जहां एनजीओ संचालित नशामुक्ति केंद्र नहीं है, वहां क्या कदम उठाए जा रहे हैं? कोर्ट ने नशा पीड़ितों के लिए सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों (Available Beds) के बारे में स्टेट्स रिपोर्ट मांगी है।
इस मामले में हाईकोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता) एवं निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता को भी प्रतिवादी बनाया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने किन्नौर, लाहुल-स्पीति, ऊना और हमीरपुर में नशामुक्ति के लिए मुहैया करवाई जा रही सुविधाओं की जानकारी भी मांगी है।
कोर्ट ने लिया है स्वत: संज्ञान
हाईकोर्ट ने एक अंग्रेजी दैनिक की खबर पर स्वतः संज्ञान (Self Cognizance) लेते हुए यह आदेश जारी किया है। खबर में बताया गया है कि हिमाचल को नशा मुक्त (Addiction Free) राज्य बनाने के राज्य सरकार के दावों के बावजूद, एकीकृत व्यसन पुनर्वास केंद्र की स्थिति एक अलग कहानी कहती है। कुल्लू (महिला), धर्मशाला, चंबा, मंडी, सिरमौर, बिलासपुर और सोलन में स्थापित केंद्र पहले अनुदान प्राप्त होने के बावजूद अभी तक चालू नहीं हुए हैं। 2019 में शिमला में शुरू किया गया 15 बेड का केंद्र बंद होने की कगार पर है, क्योंकि पिछले चार वर्षों के दौरान केंद्र से अनुदान राशि प्राप्त नहीं हुई है। उक्त केंद्र नए मरीजों को जोड़ने की स्थिति में नहीं है। वेतन नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों को भी छुट्टी पर जाना पड़ा है। किराए के भवन में स्थित होने के कारण यह केंद्र किराया, बिजली, पानी, टेलीफोन और इंटरनेट शुल्क का भुगतान करने में असमर्थ है। पीड़ितों को दवा और भोजन उपलब्ध कराना मुश्किल हो गया है। ओपीडी और आईपीडी की सुविधा भी बंद कर दी गई है।
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आईआरसीए पर भी संकट
केंद्र ने उच्च अधिकारियों के साथ अपनी चिंताओं को साझा किया है लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। प्रदेश में मादक पदार्थों की लत के मामले बढ़ रहे है। प्रदेश में शिमला, कुल्लू, ऊना और हमीरपुर में 60 बिस्तरों की कुल क्षमता के साथ चार क्रियाशील आईआरसीए (IRCA) हैं। अन्य तीन पूरी क्षमता से चल रहे हैं, लेकिन इन्हें भी वित्तीय बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा है कि नशा मुक्ति केंद्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करवाने हेतु राज्य सरकार के निवेदन पर क्या कदम उठाए हैं। मामले पर सुनवाई 18 दिसम्बर को होगी।