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संजौली कॉलेज में चुनावी गतिविधियों पर हिमाचल हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने संजौली कॉलेज को चुनाव गतिविधियों के लिए इस्तेमाल पर कड़ा संज्ञान लिया है। कॉलेज में पढ़ रहे लगभग 300 छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिख कर इसकी शिकायत की है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ के समक्ष वीरवार को इस मामले पर सुनवाई हुई। राज्य के महाधिवक्ता के आग्रह पर आज फिर इस मामले पर सुनवाई की जाएगी। पत्र में आरोप लगाया गया है कि करोना काल के बाद दो सितंबर 2022 में छात्र कॉलेज आए हैं। कोविड काल में वैसे ही उनकी पढ़ाई पर बुरा असर पड़ा है। अब पढ़ाई सुचारू होने लगी तो राज्य में चुनाव के चलते सरकार ने कॉलेज पर चुनावी गतिविधियों के लिए कब्जा कर लिया है। अधिकांश कमरों में चुनाव से संबंधित सामाग्री रखी गई है। छात्रों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है। अदालत से गुहार लगाई गई है कि चुनावी गतिविधियों के लिए संजौली कॉलेज (Sanjauli College) के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए। पत्र में लगाए गए आरोपों को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने संज्ञान लिया है।
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HPCL की रिपोर्ट पर 3 नवंबर को होगी सुनवाई
शिमला शहर में पानी की किल्लत से निजात पाने के लिए गिरि नदी पर जलाशय का निर्माण प्रस्तावित है। एचपीसीएल (HPCL) ने इसके लिए एक बड़ी रिपोर्ट तैयार की है। हाईकोर्ट के समक्ष आज इस रिपोर्ट को दायर किया गया। विस्तृत रिपोर्ट को जांचने और परखने के लिए अदालत ने पक्षकारों को दो हफ्ते का समय दिया है। मामले की सुनवाई 3 नवंबर को निर्धारित की गई है। संयुक्त कमेटी ने गिरी नदी (Giri river) के निरीक्षण की रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष सौंपी थी। अदालत को बताया गया था कि नदी के किनारे निजी भूमि पर डंपिंग की जा रही है। यह भूमि ढलानदार है और सारी गाद इसी से बहकर नदी में आती है। रिपोर्ट में बताया गया कि पराला मंडी के सिवरेज से नदी का पानी गंदा नहीं हो रहा है। मंडी का सिवरेज टैंक नदी से लगभग 200-250 मीटर दूर बनाया गया है। अदालत ने गिरि नदी पर प्रस्तावित जलाशय की विस्तृत जानकारी तलब की थी। हाईकोर्ट के अधिवक्ता विजय अरोड़ा ने जनहित से जड़ी इस याचिका कोर्ट के समक्ष दायर किया है। इस मामले पर सुनवाई न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ के समक्ष चल रही है
बता दें कि शिमला शहर में पानी की किल्लत को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत की ओर से समय समय पर पारित आदेशों के बाद अब शहर में पानी की व्यवस्था सुचारू हुई है। गर्मियों में शहर के लिए पांचवे दिन भी कम मात्रा में पानी दिया जा रहा था। अदालत ने शहर के प्राकृतिक स्रोतों को विकसित करने के आदेश दिए थे। नगर निगम ने शहर में सभी प्राकृतिक स्रोतों को चिन्हित किया है। इन स्रोतों से प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख लीटर पानी निकलता है। इन्हें विकसित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
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