-
Advertisement
चार किलोमीटर की दूरी पर हुआ तबादला रद्द करवाने गए थे हाईकोर्ट, भेज दिए ट्राइबल एरिया में
शिमला। मनपसंद पोस्टिंग हासिल करने के लिए राजनीतिक सिफारिश का सहारा लेने वाले दो सहायक अभियंताओं को लाहुल-स्पीति और किन्नौर जिला (Lahaul-Spiti and Kinnaur districts में स्थानांतरित करने के निर्णय सुनाया है। मात्र चार किलोमीटर दूरी पर हुए तबादला आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज करते हुए हाईकोर्ट (Himachal High Court)ने उक्त निर्णय सुनाया। बिजली बोर्ड के दो सहायक अभियंताओ को हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद जनजातीय क्षेत्र में स्थानांतरित कर अनुपालना रिपोर्ट अदालत के समक्ष पेश करनी होगी। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने एक मई को इस फैसले की अनुपालना रिपोर्ट तलब की है। मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात कोर्ट ने पाया कि दोनों अधिकारी तीन दशकों से अधिक समय तक शिमला में ही डटे हैं।
राजनीतिक सिफारिश बताया था तबादला करना
याचिकाकर्ता राजेश ने महज चार किलोमीटर दूर हुए तबादला आदेशों को हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। आरोप लगाया गया था कि उसका तबादला राजनीतिक सिफारिश के चलते मल्याणा से खंड नंबर दो कुसुम्पटी के लिए किया गया है। आरोप लगाया गया था कि प्रतिवादी देवेंद्र सिंह को एडजस्ट करने के लिए मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सिफारिश की है। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड को तलब किया और पाया कि दोनों ही अधिकारी पिछले तीन दशकों से अधिक समय से शिमला में ही तैनात है। बिजली बोर्ड ने जवाब के माध्यम से अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता राजेश ने वर्ष 1990 से 2004 तक शिमला में डिवीज़न नंबर एक में सेवाएं दी। उसके बाद उसका तबादला डिवीज़न नंबर दो के लिए किया गया, जहां उसने वर्ष 2021 तक सेवाएं दी।
याचिका को खारिज कर दिया
बता दें कि बिजली बोर्ड के डिवीज़न नंबर एक और दो कुसुम्पटी में ही स्थित है। वहीं, प्रतिवादी भी वर्ष 1989 से 2009 तक डिवीज़न नंबर एक में सेवाएं देता रहा और वर्ष 2009 से अब तक वह खंड नंबर दो में तैनात रहा। प्रार्थी ने आरोप लगाया था कि 18 मार्च 2023 को उसका तबादला मल्याणा से डिवीज़न नंबर दो कुसुम्पटी के लिए किया गया और प्रतिवादी को उसकी जगह मल्याणा तैनाती दी गई। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि दोनों ही अधिकारियों ने न केवल विभाग के कार्य और नैतिकता बारे में अनभिज्ञता प्रकट की है बल्कि, उनका आचरण भी कार्यालय के अनुरूप नहीं है। अदालत ने कहा कि दोनों ही अधिकारियों ने उन अधिकारियों से अन्याय किया है जो शिमला में अपनी सेवाएं देना चाहते थे। लेकिन इन प्रभावशाली अभियंताओं की ओर से बनाए गए जाल के कारण अपनी तैनाती पाने में विफल रहे हैं।
यह भी पढ़े:कोर्ट के आदेशों की अवमाननाः हाईकोर्ट ने लोनिवि के मुख्य अभियंता को कारण बताओ नोटिस किया जारी
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group