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हाईकोर्टः ASI को पिछली तारीख से SI के पद पर पदोन्नति के आदेश
Last Updated on February 26, 2021 by Sintu Kumar
शिमला। विभागीय जांच की एवज में पदोन्नति से दरकिनार करने वाले सहायक उप निरीक्षक (ASI) को प्रदेश हाईकोर्ट (High Court) ने पिछली तारीख से सब इंस्पेक्टर (SI) के पद पर पदोन्नत करने के आदेश जारी किए। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने हरि सिंह द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया कि प्रार्थी को सजा के लिए जारी किया गया कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) व उसके सेवा के रिकॉड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी कानून सम्मत नहीं है। न्यायालय ने पाया कि पुलिस विभाग (Police Department) ने प्रार्थी को पदोन्नत करने से यू ही वंचित कर दिया। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 21 मार्च 2017 को एसपी मंडी (SP Mandi) ने प्रार्थी को कारण बताओ नोटिस जारी कर यह पूछा था कि क्यों ना उसके खिलाफ सेवा में लापरवाही बरतने के लिए सेनशियोर की सजा दी जाए।
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इसके अलावा उसके सेवा से संबंधित रिकॉर्ड में भी 1 अप्रैल 2016 से 30 मार्च 2017 तक अपराधिक मामले में जांच को ठीक ढंग से ना किए जाने के आरोप के लिए प्रतिकूल टिप्पणी की गई थी। प्रार्थी का यह आरोप था कि इस कारण गलत तरीके से उसके द्वारा अप्पर स्कूल कोर्स को उत्तीर्ण करने के बावजूद भी उसे सब इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नत नहीं किया गया। प्रार्थी ने उसके खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस व उसकी प्रतिकूल टिप्पणी के खिलाफ दायर प्रतिवेदन व अपील में पारित किए गए आदेशों को रद्द करने की गुहार लगाई गई थी। न्यायालय (Court) ने पाया कि एक ही कारण के लिए सजा के लिए कारण बताओ नोटिस और सेवा रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी करना कानूनी तौर पर गलत है। न्यायालय ने कारण बताओ नोटिस व प्रतिकूल टिप्पणी को रद्द कर दिया व प्रार्थी को उसी तारीख से पदोन्नत करने के आदेश जारी किए, जिस तारीख से उसके साथी सहायक उप निरीक्षकों को पदोन्नत किया गया था, जिन्होंने उसके साथ अप्पर स्कूल कोर्स उत्तीर्ण किया था।
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न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ की नियुक्ति
हाईकोर्ट के वरिष्ठम न्यायाधीश रवि विजय कुमार मलिमठ को हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। न्यायमूर्ति मलीमथ का जन्म 25 मई 1962 को हुआ था। उन्होंने 28 जनवरी 1987 को कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) में वकालत शुरू की। इन्होंने बतौर अधिवक्ता संवैधानिक, सिविल, आपराधिक, श्रम और सेवा मामलों में महारथ हासिल की। इन्हें 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश और 17 फरवरी 2010 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।मार्च 2020 में इन्हें उत्तराखंड के उच्च न्यायालय के लिए स्थानांतरित कर दिया गया। इन्होंने 5 मार्च 2020 को उत्तराखंड के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का पद ग्रहण किया। 28 जुलाई 2020 को इन्हें उत्तराखंड के उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इन्होंने प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर 7 जनवरी को कार्यभार संभाला था।
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