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रामपुर में बिजली इकाई के लिए अवैज्ञानिक तरीके से ब्लास्टिंग पर हाईकोर्ट सख्त
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (HP High Court) ने रामपुर (Rampur) में लग रही बिजली इकाई के लिए अवैज्ञानिक तरीके से हो रही ब्लास्टिंग पर कड़ा संज्ञान लेते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण किन्नौर को निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाया है। मुख्य सचिव को आदेश दिए गए हैं कि मौके का निरीक्षण आईआईटी रुड़की (IIT Roorki) की मदद से करें। अदालत ने इसके लिए आईआईटी रुड़की के रजिस्ट्रार को एक लाख रुपये फीस देने के आदेश दिए हैं।
ब्लास्टिंग से ढांक में आई दरारें
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को निर्धारित की है। अदालत को बताया गया कि रामपुर के गांव नरोला में लुहरी विद्युत परियोजना फेज-एक का निर्माण किया जा रहा है। इसके निर्माण के लिए अवैज्ञानिक तरीके से ब्लास्टिंग (Blasting) की जा रही है। गांव के ऊपर ढांक में दरारें आ गई हैं, जिससे गांव में जान-माल को खतरा बना हुआ है। अदालत को बताया गया कि ठेकेदार की ओर से सतलुज नदी में मलबा फेंका जा रहा है। इससे न केवल पानी दूषित हो रहा है, बल्कि, पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है।
भूवैज्ञानिक ने निरीक्षण करवाएं
अदालत ने इन आरोपों की वस्तुस्थिति जानने के लिए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण किन्नौर से रिपोर्ट तलब की है। सचिव को आदेश दिए गए हैं कि मौके का निरीक्षण करें और मलबे की अवैध डंपिंग और गांव के लिए खतरा बने निर्माण से अदालत को अवगत करवाएं। अदालत ने अपने आदेशों में कहा कि इसके निरीक्षण के लिए आईआईटी रुड़की के भू विज्ञान विभाग की सहायता ली जा सकती है। आईआईटी रुड़की को आदेश दिए गए हैं कि वह भू वैज्ञानिक से इसका निरीक्षण करवाएं।
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