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Fake Degree Case : कैसी बनी मानव भारती यूनिवर्सिटी पुलिस लगाएगी पता- होगी FIR
शिमला। फर्जी डिग्री मामले (Fake Degree Case) में ईडी (ED) द्वारा मानव भारती विवि (Manav Bharti University) की 194 करोड़ 17 लाख की संपत्ति अटैच के बाद अब हिमाचल पुलिस ने यूनिवर्सिटी पर बड़े शिकंजे की तैयारी शुरू कर दी है। मानव भारती यूनिवर्सिटी कैसे बनी इसको लेकर पुलिस जल्द एक एफआईआर (FIR) दर्ज करेगी। इस बात का खुलासा हिमाचल पुलिस के डीजीपी संजय कुंडू (DGP Sanjay Kundu) ने शिमला में मीडिया से बातचीत में किया। उन्होंने हिमाचल में अब तक के सबसे बड़े वित्तीय फ्रॉड और फर्जी डिग्री मामले का पर्दाफाश करने का दावा किया है। हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू ने कहा हिमाचल के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है और प्रदेश के लिए अपनी तरह का पहला मामला है। उन्होंने कहा कि यह मामला हिमाचल के इन्वेस्टिगेशन के इतिहास में सबसे बड़ा ब्रेक थ्रू है। ईडी ने मानव भारती की 194 करोड़ 17 लाख की संपत्ति अटैच कर हिमाचल पुलिस (Himachal Police) की जांच पर मुहर लगाई है। उन्होंने खुलासा किया कि फर्जी डिग्री का यह कारोबार कैश पर चलता था। वित्तीय जांच (Financial Investigation) के दौरान 440 करोड़ की पॉपर्टी पाई गई थी। जांच में पाया कि 194.17 करोड़ की पॉपर्टी प्रोसिड ऑफ क्राइम है। उन्होंने ईडी को इसको लेकर लिखा। ईडी ने कार्रवाई करते हुए मानव भारती यूनिवर्सिटी की उक्त पॉपर्टी को अटैच कर लिया।
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डीजीपी संजय कुंडू ने कहा कि ईडी ने भी माना है, यह अटैचमेंट शिक्षण संस्थान की अब की सबसे बड़ी अटैचमेंट है। उन्होंने कहा कि मानव भारती यूनिवर्सिटी कैसे बनी इसको लेकर एक एफआईआर दर्ज करने का प्रोसेस जारी है। जब यह एफआईआर दर्ज हो जाएगी और जांच हो जाएगी तो मानव भारती यूनिवर्सिटी का पूरा केस पुलिस के कंट्रोल और सुपरविजन में हो जाएगा।
डीजीपी संजय कुंडू ने बताया कि फेस डिग्री मामले में तीन एफआईआर सोलन (Solan) के धर्मपुर थाना में दर्ज की गई थीं। मानव भारती पर फेक डिग्री बनाने और बेचने का आरोप था। मामले में एसआईटी गठित की गई। इस मामले की जांच सीआईडी के एडीजी एन वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली 19 सदस्यीय एसआईटी कर रही है। एसआईटी (SIT) में ईडी के डिप्टी डायरेक्टर और आईटी डिप्टी डायरेक्टर जांच भी शामिल हैं। एसआईटी ने मानव भारती यूनिवर्सिटी से 55 हार्ड डिस्क कब्जे में ली थीं। इनमें से 14 की जांच में 36 हजार के करीब फर्जी डिग्रियां होने का खुलासा हुआ है। हालांकि, जांच में 41 हजार के करीब डिग्रियां बांटी पाई गई थीं। निजी संस्थान रेगुलेटरी कमीशन (Regulatory Commission) ने करीब पांच हजार डिग्रियां सही होने की बात कही है। ऐसे में करीब 36 हजार फर्जी डिग्रियां पाई गई हैं।