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खाद्य तेलों में महंगाई से मिल सकती है राहत,आयात शुल्क घटाने की तैयारी में सरकार
रसोई का बिगड़ा हुआ बजट कुछ सुधरने की उम्मीद जगी है। यानी खाद्य तेलों में महंगाई से राहत मिलने की तरफ सरकार कदम बढ़ाने जा रही है। इसके लिए गठित मंत्री समूह (GOM) की प्रस्तावित बैठक में अगले सप्ताह आयात शुल्क घटाने (Reducing Import Duty) पर कोई फैसला हो सकता है। खाद्य तेलों (Edible Oils) के मूल्यों में तेजी का असर तो घरेलू बाजार पर पड़ा ही है। रबी सीजन में तिलहनी फसलों की पैदावार भी प्रभावित हुई है। इसके साथ ही सरसों तेल में दूसरे खाद्य तेलों की मिलावट की मिली छूट को समाप्त करने से सरसों तेल का मूल्य बहुत बढ़ा है। जून, 2020 में जिस सरसों तेल का मूल्य 120 रूपए किलो था, वही इन दिनों 170 रूपए प्रति किलो हो गया। सोया तेल का मूल्य 100 से बढ़कर 160 रूपए और पामोलीन ऑयल 85 रूपए से बढ़कर 140 रूपए तक पहुंच गया है। अन्य खाद्य तेलों के मूल्य भी इसी तरह बढ़ गए हैं।
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कोरोना काल में खाली हो चुके लोगों को कुछ राहत देने के मकसद से सरकार जल्द पुख्ता कदम उठा सकती है। कहा जा रहा है कि जीओएम की बैठक में इस मुद्दे पर उचित फैसला लिए जाने की पूरी संभावना है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय की ओर से इस तरह का प्रस्ताव रखा जा सकता है। इसके बाद ही सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर आयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (Central Organization for Oil Industry and Trade) का कहना है कि सीमा शुल्क में कटौती की अफवाह भर से बाजार में कीमत टूटी हैं। मात्र एक दिन में फ्यूचर सौदों में सोयाबीन में सात रूपए और सरसों तेल में पांच से छह रूपए की गिरावट आई है। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर आयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड के मुताबिक सरकार की पहल से खाद्य तेलों में 10 फीसदी तक की कमी आ सकती है। याद रहे कि वैश्विक स्तर पर कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर किसी की भी रसोई के बजट पर पड़ता है।