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नौकरी नहीं मिली तो ITI Student ने पहाड़ में खोज निकाला रोजगार
हल्द्वानी। कोरोना काल ने कई लोगों की नौकरियां छीन ली हैं। ऐसे में कई युवाओं ने स्थानीय उत्पादों के भरोसे स्वरोजगार (Self employment) की राह पकड़ ली है। अल्मोड़ा जिले में सोमेश्वर घाटी के रहने वाले दीपक बोरा ने भी ऐसा ही कुछ किया है। चनौदा गांव के रहने वाले दीपक ने जंगली फल तिमला (हिंदी नाम अंजीर और वैज्ञानिक नाम फाईकस आरीकुलेटा) और मशरूम का अचार तैयार कर लोगों को इसके स्वाद का मुरीद बना दिया है। उत्तराखंड (Uttarakhand) ही नहीं बल्कि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों के लोग भी इसकी डिमांड कर रहे हैं। वैरायटी देने के लिए लहसुन और आम का अचार तैयार कर रहे हैं। पिछले छह साल से दीपक सिलबट्टे में पीसे पहाड़ी नूण (नमक) की ऑनलाइन बिक्री कर रहे हैं। लहसुन, जीरा, तुलसी, भंगजीरा, भांग के फ्लेवर का जायकेदार नमक काफी पसंद किया जाता है।
दूसरों को भी स्वरोजगार के लिए कर रहे प्रेरित
इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के बाद दीपक ने आईटीआई (ITI ) की। कहीं नौकरी ना मिली तो उन्होंने खुद का रोजगार करने की ठानी। 2015 में पहाड़ी नूण को बिजनेस शुरू किया। दीपक ने पैकेट के साथ-साथ मटके में नमक की पैकिंग की। मटके के अंदर पहाड़ी नमक होता और बाहर उत्तराखंडी लोक चित्रकला विधा ऐपण उकेरी। उत्तराखंड की इस सौगात को लोगों ने खूब पसंद किया। चार माह पहले दीपक ने तिमल, लहसुन, कटहल और मशरूम का आचार तैयार करने की योजना बनाई। इसके लिए रुपये की जरूरत थी। कई चक्कर लगाने के बाद भी बैंकों ने निराश किया तो दीपक ने अपने दोस्त की मदद से मशरूम का बीज मंगाया। घर पर मशरूम का उत्पादन शुरू किया। लॉकडाउन में घर पर आचार बनाने का काम शुरू किया। इससे दो महिलाओं को एक युवक को भी रोजगार मिल रहा है। दीपक दूसरों को भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी प्रेरणा से आसपास के गांवों के दस युवा मशरूम का उत्पादन शुरू कर चुके हैं। दीपक युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं।