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क्या सचमुच सोने-चांदी के बने होते हैं मेडल, जानिए इनकी खासियत
भारतीय खिलाड़ियों ने बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 (Commonwealth Games) में झंडे गाड़ दिए हैं। हर दिन खिलाड़ियों ने कई पदक भारत के नाम किए हैं। भारत के कई खिलाड़ियों ने गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। ऐसे में आपके मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि क्या सच में ये मेडल गोल्ड, सिल्वर के होते हैं। आज हम आपको इन मेडल के बारे में बताएंगे।
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बता दें कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के मेडल बर्मिंघम स्कूल ऑफ ज्वेलरी में पढ़ाई कर रहे तीन छात्रों ने डिजाइन किए हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले ब्रिटेन में मेडल डिजाइन करने की प्रतियोगिता आयोजित की गई थी, जिसमें इन तीनों छात्रों Francesca Wilcox, Catarina Rodrigues Caeiro और Amber Alys ने जीत हासिल की थी।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गेम्स में पहले स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को गोल्ड (Gold), दूसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को सिल्वर (Silver) और तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाड़ी को ब्रॉन्ज (Bronze) मेडल दिया जाता है। आपको बता दें कि गोल्ड मेडल सोने के नहीं बने होते हैं, उन पर सिर्फ सोने की परत चढ़ाई जाती है। जबकि, सिल्वर मेडल पूरी तरह से चांदी से बनाया जाता है और ब्रॉन्ज मेडल पूरी तरह से ब्रॉन्ज से बनाया जाता है।
क्या है खासियत
इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में कुल 1875 मेडल तैयार किए गए हैं। इसमें से 283 इवेंट में ये मेडल खिलाड़ियों के दिए जाएंगे। इस बार दिए गए कॉमनवेल्थ गेम्स के मेडल में बर्मिंघम का नक्शा भी बनाया गया है। मेडल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि नेत्रहीन खिलाड़ी भी इसे महसूस कर सकें।
इतना होता है वजन
इन सभी मेडल का डायमीटर 63 एमएम होता है। इनमें से गोल्ड मेडल का वजन 150 ग्राम, सिल्वर मेडल का वजन 150 ग्राम और ब्रॉन्ज मेडल का वजन 130 ग्राम होता है।
दिए गए थे सोने के मेडल
रिपोर्ट्स के अनुसार, आज तक कभी भी कॉमनवेल्थ गेम्स में ऐसे मॉडल कभी भी इस्तेमाल नहीं किए गए हैं। हालांकि, 1912 में स्टॉकहोम में आयोजित हुए ओलंपिक गेम्स में आखिरी बार सोने के बने गोल्ड मेडल दिए गए थे।
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