-
Advertisement
बुद्ध पूर्णिमा पर पूजा का शुभ मुहूर्त व महत्व, कैसे करें पूजा यहां जानें
Buddha Purnima 2025: वैशाख महीने की पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती मनाई जाती है। इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है और इस बारे में शास्त्रों में भी उल्लेख किया गया है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध के साथ-साथ भगवान विष्णु और चंद्र देव की भी पूजा की जाती है।
भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई
बता दें कि भगवान बुद्ध ने ही बौद्ध धर्म की स्थापना की और पूरी दुनिया को सत्य, शांति और मानवता की सेवा करने का संदेश दिया। भगवान बुद्ध ने दुनिया को पंचशील उपदेश दिए हैं, जिसमें झूठ ना बोलना, हिंसा ना करना, नशा ना करना, चोरी ना करना और व्यभिचार ना करना शामिल हैं ।शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और परिनिर्वाण हुआ था। इसलिए इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है। लोग गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं. साथ ही पूजा-पाठ कर दान-पुण्य करते हैं।

यह त्योहार बौद्ध धर्म के लोगों के लिए खास माना जाता है। इस दिन गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का पालन किया जाता है और उनकी विशेष पूजा की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया में मनाया जाता है। इसी शुभ तिथि पर गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था। गौतम बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त कर लिया था।
ये है महत्व
कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा वाले दिन भगवान बुद्ध की पूजा करने से व्यक्ति का आत्मबल व मान-सम्मान बढ़ता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। जबकि, इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा शुभ योग
बुद्ध पूर्णिमा के दिन वरियान और रवि योग का संयोग बन रहा है। वहीं इस दिन रवि योग सुबह 5 बजकर 32 मिनट से लेकर 06 बजकर 17 मिनट तक है।इसके अलावा भद्रावास का भी संयोग है जो सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक है। मान्यता है कि इस योग में पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की है परंपरा
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म को मानने वाले आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं। वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है. माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का वास होता है।

ऐसे करें पूजा
बुद्ध पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान जरूर करें। इसके बाद सूर्य और पीपल के पेड़ को जल चढ़ाएं। इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करें। इसके अलावा दान जरूर करें। कहा जाता है कि इस दिन दान करने से परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में खुशियां दस्तक देती हैं। इस दिन रात में चंद्र उदय के बाद चांदी के लोटे से चंद्र को दूध और जल में मिश्री-चावल मिलाकर अर्घ्य अर्पित करें। इस दौराना ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। मध्यरात्रि में देवी महालक्ष्मी को हल्दी की गांठ, इत्र, गुलाब के फूल चढ़ाएं। माता लक्ष्मी के सामने केसर का तिलक खुद के मस्तक पर लगाएं और देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
