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शिमला: जोरदार नारों के साथ खत्म हुआ मजदूरों-किसानों का महापड़ाव
शिमला। केंद्र और राज्य सरकार की मजदूर, किसान, कर्मचारी (Policy Against Labor, Farmer And Workers) और जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू और हिमाचल किसान सभा (CITU and Himachal Kisan Sabha) का तीन दिवसीय हल्लाबोल सोमवार को यहां जोरदार नारों की गूंज के साथ खत्म हुआ। प्रदेशभर से आए सैकड़ों आउटसोर्स कर्मी, ठेका मजदूर, होटल, टूरिस्ट गाइड, रेहड़ी-फड़ी और तहबजारी वाले, सैहब सोसाइटी मजदूर, बीबीएन के औद्योगिक और कोविड कर्मी धरने में शामिल हुए।
मजदूरों का शोषण कर रहा है केंद्र
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा कि 3 दिवसीय महापड़ाव मजदूरों का न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) 26 हज़ार रुपये घोषित करने, मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स (Labor Codes) को रद्द करने, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने जैसी मांगों को लेकर किया गया था। उन्होंने कहा कि जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, मजदूर और किसान विरोधी फैसले लिए गए हैं। मजबूरन किसानों और मजदूरों को(Agitation) का रास्ता अपनाना पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रही है, जिससे मजदूरों, किसानों का शोषण हो रहा है।