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‘राम’ के जाने से ‘जय’ की सियासी परीक्षा, ‘राम’ परिवार के सामने कौन होगा BJP का ‘स्वरूप’
मंडी। सांसद रामस्वरूप शर्मा (MP Ramswaroop Sharma) के निधन के चाहे जो भी कारण रहे हों, लेकिन उनके दुनिया से चले जाने के बाद अब जयराम (Jairam) सरकार और सुखराम परिवार पर संकट के बादल मंडराने लग गए हैं। मोदी के सुदामा जाते-जाते दोनों को घनघोर संकट में डालकर चले गए हैं। सांसद के निधन के बाद मंडी संसदीय क्षेत्र में अब फिर से उपचुनाव होगा और यह उपचुनाव (Mandi by election) राज्य की जयराम सरकार और हिमाचल (Himachal) की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पंडित सुखराम परिवार की असली अग्नि परीक्षा करवाएगा। हालांकि अभी यह भविष्य में ही तय होगा कि भाजपा या कांग्रेस (BJP-Congress) की तरफ से कौन प्रत्याशी चुनावी मैदान में होंगे, लेकिन 2019 में संपन्न हुए चुनावों के आधार पर आकलन किया जाए तो जयराम सरकार और पंडित सुखराम परिवार के बीच ही घमासान देखने को मिला था।
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इसके अलावा अगल साल हिमाचल में भी विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में मंडी संसदीय सीट (Mandi Parliamentary Seat) का उपचुनाव सरकार के लिए भी बड़े टेस्ट की तरह होगा, क्योंकि मंडी संसदीय सीट क्षेत्रफल के लिहाज से देश का दूसरा सबसे बड़ी सीट है। यहां से 2019 में रामस्वरूप शर्मा ने सीट के इतिहास की सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी।
जयराम के नाम पर ही लड़ा जाएगा उपचुनाव
अमूमन उपचुनावों में केंद्र के बड़े नेता नहीं आते। यह दायित्व उस राज्य के मुख्य चेहरों पर ही छोड़ा जाता है। राज्य की भाजपा सरकार की बात करें तो यहां जयराम ठाकुर की इस समय मुखिया हैं। ऐसे में फतेहपुर और मंडी का उपचुनाव जयराम ठाकुर के दम पर ही लड़ा जाएगा। विधानसभा चुनावों से ठीक पहले होने जा रहे यह दो उपचुनाव जयराम सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे। मंडी संसदीय क्षेत्र जयराम ठाकुर का गृह संसदीय क्षेत्र भी है और ऐसे में यहां जयराम ठाकुर की असली अग्नि परीक्षा होने वाली है। एक तरफ उनकी सरकार बमुश्किल कोरोना काल से उभर कर जनता के बीच जाकर विकास की गाथा लिखने की दिशा में आगे बढ़ रही थी और इतने में दो उपचुनावों के कारण अब फिर से जनता के बीच जाकर हाथ फैलाने पड़ेंगे।
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पहले हारे, अब किसके सहारे
बात अगर राजनीति के चाणक्य पंडित सुखराम परिवार की करें तो आश्रय शर्मा पिछले चुनावों में कांग्रेस के युवा चेहरे के रूप में मैदान में थे। 4 लाख 5 हजार मतों के अंतर से मिली हार के जख्म अभी भी हरे हैं। ऐसे में कांग्रेस उन्हें फिर से मौका देती है तो फिर से मैदान में उतरने की तैयारी करनी पड़ेगी। पिछली बार की तरह इस बार भी सीधा मुकाबला सत्ता से है ऐसे में कसरत और ज्यादा करने की जरूरत रहेगी। उन्हें टिक्ट मिलता है तो मई और जून की तपती गर्मी में खूब पसीना बहाना होगा, लेकिन दूसरी तरफ आश्रय शर्मा को पिता अनिल शर्मा का फिर से साथ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि वो अभी भी बीजेपी के विधायक हैं। अनिल शर्मा भी फिर से इन उपचुनावों में पर्दे के पीछे से ही अपनी भूमिका निभाएंगे।
टिकट के चाहवान
विधानसभा चुनावों से ठीक पहले होने जा रहे मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव के लिए टिकट के कई चाहवान सामने आ रहे हैं। बीजेपी की बात करें तो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर, अजय राणा और महेश्वर सिंह चाहवानों में सबसे आगे हैं। हालांकि चर्चा गोबिंद ठाकुर के नाम की भी चल रही है, लेकिन जाहिर सी बात है कि वो मंत्रीपद छोड़कर सांसद की दौड़ में क्यों शामिल होंगे। यह बात अलग है कि पार्टी आदेश करे और मजबूरी के कारण मैदान में उतरना पड़ जाए। कांग्रेस में आश्रय शर्मा के अलावा विक्रमादित्य सिंह, प्रतिभा सिंह और कौल सिंह ठाकुर के नामों की चर्चा जोरों पर है। आश्रय शर्मा को छोड़कर कांग्रेस की तरफ से जो भी चेहरा मैदान में होगा तो उसका कद बढ़ना तय है। ऐसे में शायद सुखराम परिवार यह कतई नहीं चाहेगा कि टिकट उनके परिवार से बाहर जाए।
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