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इस दिवाली बन रहे कई दुर्लभ संयोग, ये है लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
दिवाली अंधकार पर प्रकाश की जीत का पर्व है। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। दिवाली पर लोग घर, दुकान, ऑफिस मां लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं।इनकी पूजा करने से घर में धन, सुख-समृद्धि का वास रहता है। सारे काम बिना किसी अरचन से संपूर्ण हो जाते हैं। पूरे विधि-विधान के साथ पूजा करने से जीवन में खुशियां बनी रहती हैं और माता लक्ष्मी व भगवान गणेश अपना आशीर्वाद सदैव आप पर बनाए रखते हैं। दीपावली पर इस साल कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं।
सदियों बाद आठ शुभ योग में 12 नवंबर को मनाई जाने वाली दीपावली रविवार को अमावस्या तिथि दोपहर 2:18 बजे से शुरू होगी, यह पूरी रात्रि काल तक रहेगी। प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा के वक्त पांच राजयोग रहेंगे। साथ में आयुष्मान, सौभाग्य और महालक्ष्मी योग भी बन रहा है।
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इस बार दिवाली पर्व पर महा माया लक्ष्मी पृथ्वी मंडल पर सायं काल 5:36 बजे से रात्रि काल 2:09 बजे तक पृथ्वी मंडल पर विराजमान होकर भ्रमण करेंगी। महा लक्ष्मी पूजन के लिए कुल तीन मुहूर्त शास्त्र के अनुसार बताए गए हैं। पहला वाणिज्यिक प्रतिष्ठान में यदि दिन में लक्ष्मी पूजन करना है।स्थिर लग्न कुंभ दोपहर 12:49 बजे से 2:20 बजे के बीच किया जाएगा।
दूसरा सर्वोत्तम प्रदोष काल मुहूर्त सायं 5:30 से लेकर रात 11:23 बजे के मध्य किया जाएगा।
तीसरा मुहूर्त इस प्रकार है महानिशा में पूजा करने के लिए स्थिर लग्न सिंह का समय रात के 11:49 बजे से रात के 2:09 बजे के बीच किया जाएगा।
पूजा की सामग्रीः रोली, कुमकुम, चंदन, अष्टगंध, अक्षत, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति या फोटो, पूजा की चौकी, लाल कपड़ा, पान, सुपारी, पंचामृत, हल्दी, रूई की बत्ती, लाल धागे की बत्ती, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, कमल गट्टा, कलश, आम के पत्ते, मौली, जनेऊ, दूर्वा, कपूर, दक्षिणा, धूप, दो बड़े दीपक, गेंहूं, खील, बताशे, स्याही, दवात
दिवाली पर घर में पूजा: दिवाली के दिन सफाई कर घर की चौखट पर मां लक्ष्मी के चरण चिन्ह्, रंगोली, शुभ-लाभ, स्वास्तिक बनाएं, द्वार पर गेंदे के फूल और आम के पत्तों से बना बंदनवार लगाएं।
- लक्ष्मी-गणेश की नवीन बैठी हुई मूर्ति की पूजा करना शुभ होता है। प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त में पूजा स्थान पर गंगाजल या गौमूत्र छिड़कें। पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती की मूर्ति की पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा की ओर मुख करते हुए स्थापित करें।
स्थापना मंत्र – या सा पद्मासनास्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी, गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया, या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितै: स्वापिता हेम-कुम्भै:, सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व -मांगल्य-युक्ता का उच्चारण करें - चौकी पर मूर्ति के पास जल से भरा कलश चावल की ढेरी पर रखें, इसपर आम के पत्ते डालकर ऊपर से लाल वस्त्र में लपेटा नारियल रख दें। ये वरुणदेव का प्रतीक होता है। मां लक्ष्मी के बाईं ओर घी का दीपक और अपने हाथ के दाए ओर तेल का दीपक लगाएं। घी के लिए रूई जबकि तेल के लिए लाल धागे की बत्ती का उपयोग करें। इसमें उचित मात्रा में घी-तेल डाले ताकि पूजा खत्म होने तक ये प्रज्वलित रहें।
- पूरे घर-आंगन में 11, 21 या 51 तेल की दीपक लगाएं। कुबेर देवता की पूजा के लिए मां लक्ष्मी की मूर्ति के सामने चांदी या कांसे की थाल पर रोली से स्वातिक बनाकर अक्षत डालें और इसमें चांदी के सिक्के, गहने, रखें। मां लक्ष्मी की मूर्ति को भी सोने चांदी से निर्मित गहने पहनाएं। दीप प्रज्वलित कर सभी देवी-देवता और नवग्रह का आह्वान करें। सर्व प्रथम भगवान गणेश को चंदन का तिलक लगाकर, जनेऊ, अक्षत, फूल, दूर्वा अर्पित करें। अगर देवी लक्ष्मी की मूर्ति पीतल या चांदी की है तो दक्षिणावर्ती शंख में जल और पंचामृत डालकर अभिषेक करें।
- इस दिन श्रीयंत्र की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। महालक्ष्मी और देवी सरस्वती की षोडशोपचार पूजन करें। रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, मेहंदी, अक्षत, पान, सुपारी, अबीर, गुलाल, कमल का फूल, कलावा, पंचामृत, फल, मिठाई, खील बताशे, इत्र, पंचरत्न, खीर, पीली कौड़ी, गन्ना, नारियल आदि अर्पित करें। फलों में आप लक्ष्मी जी की पूजा में सिघाड़ा,अनार, श्रीफल अर्पित कर सकते हैं।
- दिवाली की पूजा में सीताफल को भी रखा जाता है। इसके अलावा दिवाली की पूजा में कुछ लोग ईख भी रखते हैं। मिष्ठान में मां लक्ष्मी को केसरभात, चावल की खीर जिसमें केसर पड़ा हो, हलवा आदि भी बहुत पसंद हैं। पूजा में मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें। इस दिन तिजोरी, बहीखाता और व्यापारिक उपकरणों की भी पूजा करनी चाहिए। दिवाली की रात श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त, लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना उत्तम माना गया है।