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16वें वित्त आयोग के साथ बैठकः सीएम सुक्खू ने की रेवेन्यू डेफिसेट ग्रांट बढ़ाने की मांग
16th Finance Commission:शिमला। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण की सिफारिश के लिए बनाए गए 16वें वित्त आयोग (16th Finance Commission)की टीम तीन दिवसीय दौरे पर शिमला पहुंची है। 16वें वित्त आयोग की टीम ने सरकार के साथ सोमवार को राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में बैठक की, जिसमें सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) भी मौजूद रहे। सरकार ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति आयोग से सांझा की और लगातार बढ़ रहे राजस्व घाटे को देखते हुए सरकार ने वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हितों की पैरवी की ताकि नया वित्त आयोग केंद्र के समक्ष रेवेन्यू डेफिसेट ग्रांट(Revenue Deficit Grant) को बढ़ाने की सिफारिश कर पाए।
पूर्व सरकार ने राज्य को कर्जदार बनाया
वित्त आयोग के साथ मीटिंग के बाद सीएम सुखविंदर सुक्खू ने कहा कि उन्होंने कमीशन को बताया है कि पूर्व बीजेपी सरकार( BJP government) के दौरान जो रेवेन्यू डेफिसेट ग्रांट 10-10 हजार करोड़ रुपए मिल रही थी, वह अब लगभग 3000 करोड़ रुपए रह गई है। पूर्व सरकार ने राज्य को कर्जदार बनाया है। पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, पानी और जंगल राज्य की अहम संपदा है। मगर राज्य सरकार जब पानी पर वाटर सेस (Water Cess)लगाती है तो कोर्ट उस पर स्टे लगाता है। प्रदेश में 68 प्रतिशत जमीन पर जंगल है, उस पर बैन लगा रखा है। इन सब चीजों को देखते हुए हिमाचल को रेवेन्यू डेफिसेट ग्रांट मिलनी चाहिए।
हिमाचल की भौगौलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न
सरकार से बैठक के बाद आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया(Commission Chairman Arvind Panagariya) ने बताया कि हिमाचल की भौगौलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न है। आपदाएं यहां समस्याएं और अधिक बढ़ा देती हैं। ऐसे राज्यों में धन की अधिक आवश्यकता होती है। अभी हिमाचल सरकार (Himachal Government)ने अपनी बात रख दी है। सभी प्रदेशों से राय और चर्चा करने के बाद आयोग अपनी सिफारिशे देगा। हिमाचल ने ओपीएस( OPS) लागू की है जिससे वित्तीय स्थिति पर असर हुआ है इस पर भी देखा जायेगा उसके बाद ही ग्रांट पर निर्णय होगा। मुफ़्त रेवड़ियों के बांटने को लेकर भी आयोग चिंतन करेगा और विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर राज्यों की हिस्सेदारी तय होगी।