-
Advertisement
विवादों से पुराना नाता रहा है कफ सिरप का, सबसे पहले जर्मनी ने बनाई थी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने देश में बनी चार कफ सीरप पर अलर्ट जारी किया। इसके ऊपर काफी बहस चल रही है। मगर आपको बता दें कि कफ सिरप (Cough Syrup) पर होने वाला यह कोई पहला विवाद (Conflict) नहीं है। इससे पहले भी कफ सीरप पर कई बार विवाद हो चुके हैं। अगर हम अफीम (Opium) की बात करें तो मिस्र (Egypt) में दवाओं के लिए अफीम का उपयोग किया जाता रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह अलर्ट गांबिया में 66 बच्चों की हुई मौत के बाद जारी किया है। संगठन का तर्क है कि यह सीरप मानकों पर खरी नहीं उतर पाई है। वहीं इस सिरप को बनाने वाली कंपनियों की भी जांच की जा रही है। आपको बता दें कि दुनिया में सबसे पहले कफ सीरप 127 वर्ष पहले जर्मनी (Germany) में बनी थी। तब इसका नाम हेरोइन रखा गया था। इस कफ सीरप को जर्मन की कंपनी बेयर ने बनाया था। इसको बनाने के लिए एस्प्रिन दवा का प्रयोग किया जाता था। वहीं जब तक यह सीरीप नहीं आई थी तब खांसी को दूर करने के लिए लोग अफीम का प्रयोग कर रहे थे। अफीम शरीर में जाकर मार्फिन में टूट जाता था।
यह भी पढ़ें:पानीपत में भी मिला जानलेवा कफ सिरप का कनेक्शन, कंपनी के डायरेक्टर से पूछताछ
जैसा कि बताया कि प्राचीन समय में बीमारियों को ठीक करने के लिए अफीम का प्रयोग किया जाता था। यहीं से दवा कंपनी बेयर (Pharmaceutical Company Bayer) को एक ऐसी सिरप बनाने का आइडिया आया जो बेहतर हो। इसके ऊपर कंपनी ने प्रयोग भी किया। कंपनी ने देखा कि जब मॉरफीन (Morphine) को गर्म किया जाता है तो डाइएसिटिल मॉरफीन (Diacetylmorphine) बनता है। अतः इससे लोगों को राहत मिल सकती है। वहीं सिरप को पीने के बाद जब लोगों को नींद आएगी तो ऐसे में भी लोगों को बचाया जा सकता है। अतः इसी आइडिये से सीरप बाजार में आ गया। अब इस सीरीप से ना केवल खांसी ठीक हुई, बल्कि उन रोगियों को भी राहत मिली, जिन्हें टीबी या ब्रोंकाइटिस थी।
वहीं डॉक्टरों ने अफीम की आदत छुड़ाने के लिए इसे ही देना शुरू कर दिया। सन 1899 तक इसको लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया। लोगों ने बताया कि उन्हें इस सीरीप की हेरोइन की तरह लत लग रही है। विवाद काफी बढ़ता चला गया और अंततः सन 1913 में बेयर कंपनी ने अपने कफ सीरप पर रोक लगा दी और इसका उत्पादन भी बंद कर दिया गया। वहीं अगर भारत की बात करें तो यहां पहले खांसी का इलाज आयुर्वेद पद्धति से किया जाता रहा। इसमें प्राकृतिक चीजों को मिलाकर एक सिरप तैयार किया जाता था। इसके लिए अदरक, मुलेठी, काली मिर्च और तुलसी समेत कई तरह के आयुर्वेदिक जड़ी.बूटियों का प्रयोग किया जाता था। हालांकि उस दौर में भी यूरोप, अमेरिका और मिस्र में अफीम, हेरोइन, मॉरफीन का इस्तेमाल खांसी को ठीक करने में होता था। लोगों का मानना था कि अफीम सीधा दिमाग पर असर करता है। इस कारण दिमाग दर्द का सिग्नल महसूस नहीं कर पाता और राहत मिल जाती है। मगर कई बार ओवरडोज से मौत भी हो जाती थी।