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आज मनाया जाएगा दही हांडी का उत्सव, यहां जानिए शुभ मुहूर्त
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी (Janmashtami) का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 18 और 19 अगस्त दोनों ही दिन मनाया गया। अब आज दही हांडी (Dahi Handi) का पर्व मनाया जाएगा। आज हम आपको दही हांडी का महत्व और इसके शुभ मुहूर्त के बारे में बताएंगे।
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बता दें कि इस साल दही हांडी का पर्व भी दो दिन मनाया गया यानी 19 अगस्त और 20 अगस्त को। दही हांडी का त्योहार जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है। दही हांडी का पर्व जन्माष्टमी का ही एक हिस्सा है। दही हांडी का उत्सव द्वापर युग से मनाया जा रहा है। दही हांडी का पर्व भगवान श्री कृष्ण की चंचल लीलाओं को याद करते हुए मनाया जाता है। दही हांडी का पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में मनाया जाता है।
दही हांडी का उत्सव क्यों है खास
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण काफी नटखट थे और उन्हें माखन खाना बेहद पसंद था। माखन खाने के लिए वे वृंदावन में लोगों के घरों से माखन चुराया करते थे और फिर अपने मित्रों के साथ मिलकर माखन खाया करते थे। हालांकि, कान्हा की इस माखन चोरी से वृंदावन की सारी गोपियां परेशानी रहती थीं। ऐसे में गोपियां कान्हा से माखन बचाने के लिए माखन से भरी मटकी को ऊंची जगह पर टांग देती थीं, लेकिन भगवान श्री कृष्ण काफी चतुर थे।माखन चुराने के लिए श्री कृष्ण ने अपने मित्रों के साथ मिलकर एक पिरामिड (P बनाया और उस पर चढ़कर मटकी को फोड़ दिया और सारा माखन चुरा लिया। भगवान श्री कृष्ण की इसी शरारत को ध्यान में रखते हुए लोग जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाते हैं।
दही हांडी का शुभ मुहूर्त
आज के दिन रात 10.59 बजे तक भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी।
ऐसे मनाते हैं दही हांडी
बता दें कि दही हांडी उत्सव के दिन लोग खाली जगहों पर काफी ऊंचाई पर एक मटकी को रस्सी पर लटका देते हैं। इस मटकी में दही, माखन व छाछ से भरा जाता है। इस मटकी को तोड़ने वाले लोगों को गोविंदा कहा जाता है।
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