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धनतेरस पर पाना है धन तो करें ये जतन, हमेशा बनी रहेगी मां लक्ष्मी की कृपा
धनवंतरी हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक देवताओं के वैद्य हैं। उन्हें भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का अवतार माना जाता है। इनकी चार भुजायें हैं। ऊपर की दोनों भुजाएं शंख और चक्र धारण किए हुए हैं। जबकि दो अन्य भुजाओं में से एक में जलूका और औषधि तथा दूसरे में अमृत कलश है। इनकी प्रिय धातु पीतल है। आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैद्य इन्हें आरोग्य का देवता कहते हैं। धनतेरस के दिन धनवंतरि जी की पूजा करना भी जरूरी है।
धनतेरस (Dhanteras) के दिन सिर्फ नई वस्तुओं की खरीदारी ही नहीं की जाती बल्कि दीप भी जलाए जाते हैं। इसके पीछे कई तरह की मान्यताएं हैं। इस दिन प्रवेश द्वार पर जलाए जाने वाले दीपकों के बारे में मान्यता है कि इनकी वजह से घर में अकाल मौत का भय खत्म हो जाता है और परिवार की लौ हमेशा जलती रहती है। धनतेरस पर नए बर्तन खरीदने की परम्परा के बारे में कहा जाता है कि धनवंतरि जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। इसी के बाद से ही उनके जन्मदिन पर नए बर्तन खरीदने का चलन शुरू हुआ। यह भी माना जाता है कि इस दिन वस्तु खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा करने के लिए लोग उनकी मूर्तियां भी धनतेरस के दिन ही खरीदते हैं।
धन कौन नहीं चाहता। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर पर हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रही। घर में धन लाने के लिये धनतेरस पर क्या करना है वो हम आपको बताते हैं …
धनतेरस देवताओं को अमृतपान कराकर अमर करने वाले धन्वंतरि का प्रकट दिवस के रूप में माना जाता है। इस दिन उनका पूजन करना बनता है। धन्वंतरि का पूजन करने के लिये एक नया झाड़ू एवं सूपड़ा खरीदकर उनकी पूजा करें।
इसी दिन दीप जलाने की पंरपरा भी है इसलिये शाम के समय दीपक प्रज्जवलित करें घर, दफ्तर, दुकान आदि को सजा-संवार कर बिल्कुल चमका दें। मंदिर, गौशाला, नदी, तालाब, कुंए आदि सार्वजनिक स्थलों पर भी दीप जरूर जलायें।
अपने सामर्थ्य के अनुसार चांदी, पीतल, तांबे या फिर कांसे के नये बर्तन या आभूषणों की खरीददारी करें।
धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है इसलिये अच्छी सेहत के लिये हल जुती मिट्टी को दूध में भिगोकर उसमें सेमर की शाखा डालकर तीन बार अपने शरीर पर फेरें और तत्पश्चात कार्तिक स्नान करें।
दिवाली के मौके पर कार्तिक स्नान का काफी महत्व होता है। प्रदोष काल में स्नान करके घाट, गौशाला, बावड़ी, कुएं, मंदिर आदि स्थानों पर लगातार तीन दिन तक दीपक जलाने चाहियें।
धन तेरस पर पूजा अर्चना अच्छी सेहत व धनलाभ पाने के लिये होती है और धन का देवता कुबेर को माना जाता है। इसलिये कुबेर की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिये। उसके बाद शुभ मुहूर्त में अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान में नई गद्दी बिछानी चाहिये। नई गद्दी न भी हो तो कोई बात नहीं पुरानी गद्दी को अच्छे से साफ कर उसे पुन: स्थापित किया जा सकता है उसके बाद उस पर कोई नया वस्त्र बिछाना चाहिये। कुबेर का पूजन शाम के बाद तेरह दीपक जलाकर, तिजोरी में करना चाहिये।
ये उपाय विधिवत करेंगे तो जरूर आपके ऊपर मां लक्ष्मी और कुबेर की कृपा बनी रहेगी। उम्मीद करते हैं हमारी दी गई जानकारी आपको पसंद आई हो। ऐसी ही जानकारियों के लिए हिमाचल अभी अभी से जुड़े रहिए। हमारे फेसबुक पेज को लाइक कीजिए। हिमाचल अभी अभी की मोबाइल ऐप आप पले सटोर से डाउनलोड कर सकते हैं।