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नौकरी छोड़ने के पांच साल बाद भी खाते में आती रही सैलरी, ऐसे सामने आया मामला
हमीरपुर। नाहन (Nahan) में पशुपालन विभाग के अधीक्षक द्वारा मृत मां की पेंशन डकारने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब शिक्षा विभाग (Education Department) में मिड-डे मील योजना में एक वित्तीय फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिला हमीरपुर के शिक्षा खंड भोरंज (Bhoranj) से यह मामला जुड़ा है। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला बगवाड़ा में मिड-डे मील वर्कर (Mid Day Meal Worker) को नौकरी छोड़ने के पांच साल बाद भी मासिक वेतन (Salary) (मानदेय) का भुगतान होता रहा। पांच साल तक विभाग के अधिकारियों को इसका पता तक नहीं चला। संबंधित मिड-डे मील वर्कर नौकरी (Job) छोड़ने के बाद पांच साल में करीब डेढ़ लाख की सरकारी रकम डकार चुकी है। बीते माह संबंधित मिड-डे मील वर्कर के खाते में मैन्युअल पैसे जमा करवाने के निर्देश जारी हुए, तब प्रधानाचार्य ने बताया कि इस नाम की कोई भी मिड-डे मील वर्कर स्कूल (School) में कार्यरत नहीं है, जिसके खाते में पैसे डालने के लिए बोला गया, वह वर्ष 2017 में नौकरी छोड़ चुकी है।
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प्रिंसिपल ने नहीं दी नौकरी छोड़ने की सूचना
स्कूल स्तर पर संबंधित मिड-डे मील वर्कर से संपर्क किया गया तो पता चला कि उसे पांच साल तक मासिक वेतन मिलता रहा। विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए खंड शिक्षा अधिकारी और संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य ने मिड-डे मील वर्कर से पिछले पांच साल की राशि लौटाने को कहा तो उसने जवाब दिया कि यह राशि खर्च कर ली गई है। उसने कहा कि कोरोना (Corona) काल था, ऐसे में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (Prime Minister Kisan Samman Nidhi) समझ कर उसने यह धनराशि खर्च कर डाली है। खंड शिक्षा अधिकारी भोरंज सुखदेव सिंह ने बताया कि मिड-डे मील वर्कर को प्रतिमाह 2500 रुपए मानदेय मिलता है। यह राशि प्रत्येक स्कूल के मिड-डे मील वर्कर के बैंक खाते में सीधे शिक्षा विभाग से ट्रांसफर (Transfer) होती है। स्कूल प्रधानाचार्य ने विभाग को नौकरी छोड़ने की सूचना नहीं दी।
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इसके चलते शिमला से संबंधित मिड-डे मील वर्कर के खाते में मासिक मानदेय की राशि जमा होती रही। प्रिंसिपल से जवाब मांगा गया है। अब संबंधित मिड-डे मील वर्कर का मानदेय रोक दिया गया है। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के उपनिदेशक संजय ठाकुर ने बताया कि मिड-डे मील वर्कर को नौकरी छोड़ने के बाद भी पांच साल तक मानदेय मिलने का मामला ध्यान में आया है। खंड शिक्षा अधिकारी और संबंधित स्कूल के प्रिंसिपल से जवाब मांगा है।