-
Advertisement
किसानों ने सरकार को दिया एक और मौका : 29 December को बुलाई जाएगी बैठक
Last Updated on December 26, 2020 by Sintu Kumar
नई दिल्ली। दिल्ली बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों आंदोलन के 32वें दिन यानी आज किसानों ने बैठक (Meeting) की। बैठक में किसानों ने सरकार को एक मौका देने का फैसला लिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए, साथ ही कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में मोर्चा ने कहा है कि अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार (Government) ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है। हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की। सरकार ने इसे तोड़मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी। आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है। अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलत बयानबाजी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें।
यूनियन ने मांग रखी है कि बैठक में तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी दर्जा देने पर बात की जाए। इसके साथ ही वायु गुणवत्ता और विद्युत संशोधन बिल को लेकर भी चर्चा हो। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में टोल प्लाजा स्थायी रूप से खुले रहेंगे। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि समाधान निकालना किसान के हाथ में नहीं है, समाधान सरकार निकालेगी। किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपना आंदोलन कर रहे हैं। किसान हारेगा तो सरकार हारेगी और किसान जीतेगा तो सरकार जीतेगी।
बीजेपी के पूर्व लोकसभा सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने दिया इस्तीफा
वहीं, कृषि कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता हनुमान बेनिवाल ने आज NDA छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि मैं एनडीए छोड़ने का ऐलान करता हूं। आरएलपी से पहले कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल भी एनडीए छोड़ चुकी है। वहीं, बीजेपी के पूर्व लोकसभा सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों, उनकी पत्नियों और बच्चों की पीड़ा के प्रति पार्टी नेताओं और सरकार द्वारा दिखाई गई संवेदनहीनता के विरोध में पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।