-
Advertisement
₹251 करोड़ प्रति किमी वाली सड़क को गडकरी ने बताया इंजीनियरिंग का चमत्कार!
नई दिल्ली। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को एक वीडियो (Video) साझा किया, जिसमें नवनिर्मित भारत का पहले आठ-लेन एलिवेटेड एक्सप्रेसवे द्वारका एक्सप्रेसवे (Dwarka Expressway) को इंजीनियरिंग का चमत्कार (Engineering Marvel) बताया गया है। यह वही एक्सप्रेसवे है, जिसके बारे में CAG ने आपत्ति जताते हुए सवाल उठाए थे कि इसकी प्रति किलोमीटर कीमत 18.2 करोड़ से 251 करोड़ कैसे हो गई। कैग ने इसे ‘’बहुत अधिक’’ बताया था।
वीडियो में नितिन गडकरी ने लिखा है, “इंजीनियरिंग का चमत्कार: द्वारका एक्सप्रेसवे! भविष्य का एक अत्याधुनिक सफर।” वीडियो के अनुसार, द्वारका एक्सप्रेसवे एक चार-पैकेज राजमार्ग है जिसकी लेन-चौड़ाई 563 किमी है।
Marvel of Engineering: The Dwarka Expressway! A State-of-the-Art Journey into the Future 🛣#DwarkaExpressway #PragatiKaHighway #GatiShakti pic.twitter.com/Qhgd77WatW
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) August 20, 2023
1200 पेड़ों को दोबारा लगाया
यह सड़क राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर शिव मूर्ति से शुरू होती है और गुरुग्राम (Gurugram) में खेड़की दौला टोल प्लाजा पर समाप्त होती है। यह भारत की पहली परियोजना है जिसके लिए 1,200 पेड़ों का पुनः प्रत्यारोपण किया गया। एक बार पूरा होने पर, परियोजना दिल्ली और हरियाणा के बीच कनेक्टिविटी (Connectivity) में काफी सुधार करेगी। वीडियो के मुताबिक, द्वारका से मानेसर तक यात्रा का समय 15 मिनट, मानेसर से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे तक 20 मिनट, द्वारका से सिंघु बॉर्डर तक 25 मिनट और मानेसर से सिंघु बॉर्डर तक 45 मिनट हो जाएगा।
यह भी पढ़े:सीएम सुक्खू का बड़ा ऐलान- बिना ड्रेनेज और क्रॉस ड्रेनेज के सड़कें नहीं होंगी पास
दो लाख टन स्टील लगाया गया
जानकारी के मुताबिक यह परियोजना द्वारका, सेक्टर 25 में अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर की कनेक्टिविटी को भी मजबूत करेगी। एक्सप्रेसवे के दोनों ओर तीन-तीन लेन की सर्विस रोड हैं। यातायात की भीड़ से बचने के लिए इन सर्विस लेन पर प्रवेश बिंदु बनाए गए हैं। वीडियो के मुताबिक, एक्सप्रेसवे के निर्माण में दो लाख टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है, जो एफिल टॉवर में इस्तेमाल हुए स्टील से 30 गुना ज्यादा है। साथ ही प्रोजेक्ट में 20 लाख क्यूबिक मीटर सीमेंट कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है, जो बुर्ज खलीफा में इस्तेमाल से छह गुना ज्यादा है।