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हरिजन बस्ती को जोड़ने वाली सड़क की दुर्दशा के मामले में राज्य सरकार को नोटिस
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मशोबरा (Mashobra) स्थित हरिजन बस्ती को जोड़ने वाली सड़क की दुर्दशा के मामले में राज्य सरकार को नोटिस (Notice) जारी किया। कोर्ट ने मुख्य सचिव समेत अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ (Chief Justice AA Syed and Justice Jyotsna Riwal Dua) की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किए। गांव वालों ने मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखकर जरूरी निर्देश दिए जाने की मांग की है। इसे हाईकोर्ट (HighCourt) की ओर से जनहित याचिका मानते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए।
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आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2016-17 में लोक निर्माण विभाग (PWD) ने हरिजन बस्ती को जोड़ने के लिए 1100 मीटर सड़क का निर्माण किया था। इस सड़क के निर्माण से 250 लोगों को फायदा पहुंचना था। मगर इस सड़क का निर्माण अभी तक पूरा नहीं हुआ है। सड़क के किनारे नालियां बनाने का काम (Sewerage) बाकी है। बरसात के कारण सड़क पर बड़े-बड़े गढ्ढे पड़ गए हैं। सड़क पर गाड़ी चलाना तो दूर, लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल है। अदालत से गुहार लगाई गई है कि इस सड़क की दशा सुधारने बारे जरूरी आदेश पारित किए जाएं। इस मामले में प्रधान सचिव वन प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग डीसी शिमला (DC Shimla), मुख्य अरण्यपाल और लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता को भी प्रतिवादी बनाया है।
सड़क बनाने के मामले पर सुनवाई टली, नेशनल हाईवे ऑथोरिटी की ओर से नहीं दिया गया जवाब
शिमला-कालका फोरलेन (Shimla-Kalka) निर्माण में अवैज्ञानिक तरीके से टनल और सड़क बनाने से जुड़े मामले पर सुनवाई टल गई है। इस मामले पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी (National Highway Authority) की ओर से जवाब न दिए जाने पर सुनवाई नहीं हो सकी। मामले की सुनवाई 2 नवंबर को निर्धारित की गई है।इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 45 वर्ष के अनुभव वाले इंजीनियर की शिकायत पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। श्यामकांत धर्माधिकारी की ओर से लिखे पत्र में आरोप लगाया गया है कि पहाड़ों के कटान (Cutting of Mountains) से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। प्रदेश में त्रुटीपूर्ण इंजीनियरिंग से बनाई जा रही भूमिगत सुरंगें, सड़कें और पुलों से पहाड़ों का अनियोजित उत्खनन किया जा रहा है। सड़कों में ढलान और अवैज्ञानिक तरीके से पुल और सुरंगों का निर्माण किया जाना नुकसान का कारण बनता है। अदालत को बताया गया कि हालांकि इंजीनियरिंग के बिना राष्ट्र निर्माण की अपेक्षा नहीं की जा सकती। आज के जमाने में इंजीनियरिंग और वास्तुकला की सख्त जरूरत है। आरोप लगाया गया है कि यदि इंजीनियरिंग और वास्तुकला में जरा सी भी त्रुटि पाई जाती है तो हजारों मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है।
अंकुश दास बने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन (Himachal Pradesh High Court Bar Association) के सदस्यों ने वार्षिक चुनाव (Annual Election) में 1224 में से 1015 मतदाताओं ने मतदान कर नई कार्यकारिणी का चुनाव किया है। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुश दास सूद, उपाध्यक्ष पद के लिए तरुण शर्मा और सचिव पद के लिए अभिलाषा कौंडल को चुना गया। अध्यक्ष पद के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता अंकुश दास सूद ने 681 वोट लेकर अपने प्रतिद्वंद्वी वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश कुमार ठाकुर (Advocate Naresh Kumar Thakur) को हरायाद्य नरेश कुमार ठाकुर को 329 मत मिले। उपाध्यक्ष पद के लिए तरुण शर्मा ने 584 वोट लेकर अपने प्रतिद्वंद्वी धीरज वशिष्ठ को हराया। धीरज वशिष्ठ को 421 मत मिले। सचिव पद के लिए अभिलाषा कौंडल ने 519 वोट लेकर अपने प्रतिद्वंदी अभिनव पुरोहित को हराया। अभिनव पुरोहित को 491 मत मिले। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के चुनाव अधिवक्ता अरविंद शर्मा की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए। इन चुनावों को सम्पन्न करवाने में अधिवक्ता राजेश मंढोतरा, मेहर चंद ठाकुर, मलय कौशल, अमित बाली, वरुण चौहान, मानसिंह, प्रशांत शर्मा, अविनाश जरयाल व सुमित शर्मा ने अपनी अहम भूमिका निभाई ।
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