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ऑक्सफर्ड की Vaccine का इंसानों पर ट्रायल कामयाब: सुरक्षित पाई गई, अब अगले फेज में पहुंची
नई दिल्ली। चीन के वुहान से उपजे कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनिया भर के तकरीबन 180 से अधिक देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। इस महामारी के इलाज के लिए कारगर वैक्सीन (Vaccine) का इस वक्त पूरी दुनिया को इंतजार है। इस सब के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ ने बताया है कि शुरुआती परिणामों के आधार पर, यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका (Oxford University and AstraZeneca) द्वारा विकसित कोरोना वायरस की वैक्सीन सुरक्षित है। इसके ट्रायल में शामिल तकरीबन 1,077 लोगों में इंजेक्शन लेने के बाद ऐंटीबॉडीज़ और सफेद रक्त कोशिकाएं बनीं जो कोरोना से लड़ सकती हैं। बकौल जर्नल, वृद्धों में भी क्लिनिकल ट्रायल होने चाहिए।
ऑक्सफर्ड की वैक्सीन वायरस से ‘दोहरी सुरक्षा’ देती है
इसके साथ ही अब इसे अगले चरण के ट्रायल के लिए भी ओके कर दिया गया है। रिसर्च पेपर में बताया गया कि वैक्सीन में जो वायरल वेक्टर इस्तेमाल किया गया है, उसमें SARS-CoV-2 का स्पाइक प्रोटीन है। दूसरे फेज 1/2 में 5 जगहों पर 18-55 साल की उम्र के लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया। कुल 56 दिन तक चले ट्रायल में 23 अप्रैल से 21 मई के बीच जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें सिरदर्द, बुखार, बदन दर्द जैसी शिकायतें पैरासिटमॉल से ठीक हो गईं। ज्यादा गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं हुए। बता दें ऑक्सफर्ड की वैक्सीन को दूसरी वैक्सीन से पहले ही आगे माना जा रहा था क्योंकि यह वायरस से ‘दोहरी सुरक्षा’ देती है। अभी इसका बड़े पैमाने पर ट्रायल बाकी है। ब्रिटेन ने पहले ही वैक्सीन की 10 करोड़ डोज सुरक्षित कर ली हैं। भारत में भी इस वैक्सीन का उत्पादन हो रहा है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का उत्पादन करने का जिम्मा मिला है।
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इससे पहले ‘मॉडर्ना’ ने भी किया था सफल ट्रायल का दावा
इस वैक्सीन को अभूतपूर्व गति से विकसित किया गया है। इसे चिंपांजियों में सामान्य सर्दी जुकाम पैदा करने वाले वायरस में जेनेटिकली बदलाव लाकर तैयार किया गया है। इसे बड़े स्तर पर मॉडिफाई किया गया है ताकि ये लोगों को संक्रमित ना कर सके और बहुत हद तक कोरोनावायरस की तरह दिखे। इससे पहले अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन (Moderna Coronavirus Vaccine) अपने पहले ट्रायल में पूरी तरह से सफल रही। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे अध्ययन में कहा गया है कि 45 स्वस्थ लोगों पर इस वैक्सीन के पहले टेस्ट के परिणाम बहुत अच्छे रहे हैं। इस वैक्सीन ने प्रत्येक व्यक्ति के अंदर कोरोना से जंग के लिए ऐंटीबॉडी विकसित किया। इस पहले टेस्ट में 45 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जो स्वस्थ थे और उनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच थी।