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Breaking: शिमला-मटौर के बाद अब पठानकोट-मनाली Fourlane प्रोजेक्ट रद
Last Updated on September 14, 2020 by Deepak
कांगड़ा। पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली (GS Bali)ने कहा कि मुझे इस बात की लगातार पीड़ा हो रही है कि शिमला को कांगड़ा से व पठानकोट को मनाली (Pathankot-Manali)से जोड़ने वाले दोनों राष्ट्रीय उच्च मार्गों के Fourlane प्रोजेक्ट को रद करके केंद्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया है । उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकान के वक्त केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी जब हिमाचल आए थे तो हमारे आग्रह पर शिमला-मटौर व पठानकोट- मनाली एनएच को फ़ॉरलेन करने व नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया( National Highway Authority of India) द्वारा इसके निर्माण व रखरखाव व अन्य कार्य की घोषणा ही नहीं की अपितु इन मार्गों के सर्वे करवाने के आदेश भी जारी किए थे । लेकिन अब केंद्र के पल्ला झाड़ लेने से लगता है कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने इन योजनाओं को कार्यरूप देने में कोई कार्य नहीं किया । यह कार्य जनता की मूलभूत सुविधाओं से जुड़ा हुआ था और इसमें कांगड़ा से शिमला की दूरी कम हो जानी थी। परन्तु अब लगभग चार साल के उपरांत मुझे यह अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि शिमला को कांगड़ा से व पठानकोट को मनाली से जोड़ने वाले दोनों Fourlane प्रोजेक्ट को रद करके केंद्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया है ।
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जाम
बाली ने कहा कि विडंबना की बात यह है कि उपरोक्त परियोजनाओं के दस्तावेज केंद्र सरकार के आधीन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजे गए थे,और जब यह परियोजनाए रद हो गई है तो यह दस्तावेज नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के पास ही रहने चाहिए थे, ना कि हिमाचल लोक निर्माण विभाग के पास, जो कि राज्य, जिला स्तरीय एवं अन्य छोटे छोटे मार्गों का रख रखाव भी नहीं कर पा रहा है । अब मैं हिमाचल प्रदेश की जनता से एक ही अपील करना चाहता हूं कि अपने हक की लड़ाई हमें पूरी ताकत से लड़नी होगी, नहीं तो मुझे हिमाचल के भविष्य की तस्वीर बहुत ही धुंधली दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि हम यदि इन जन विरोधी निर्णयों के खिलाफ एकजुट होकर नहीं लड़े तो एक दिन खाली हाथों से ताली ही बजानी पड़ेगी । बाली ने कहा कि मेरा प्रदेश के सीएम (CM) से निवेदन है कि तुरन्त दिल्ली जाकर उक्त परियोजनाओं के निर्माण को बहाल करवाए अगर सरकार इसमे भी विफल रहती है तो ये प्रदेश के 80 प्रतिशत लोगो के साथ अन्याय होगा जिसका खामियाजा प्रदेश सरकार को भुगतना पड़ेगा।