-
Advertisement
DDU अस्पताल को डेडिकेटेड Covid-19 हॉस्पिटल बनाए जाने के विरोध में दायर याचिका HC से खारिज
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल शिमला (DDU Hospital, Shimla) को डेडिकेटेड कोविड-19 हॉस्पिटल (Dedicated Covid-19 Hospital) बनाए जाने के विरोध में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस लिंगप्पा नारायण स्वामी व जस्टिस ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की बेंच ने राज्य सरकार की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सभी सम्भव कदम व पर्याप्त तरीके अपनाए है। कोर्ट ने कहा कि वह सरकार द्वारा डीडीयू अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल घोषित करने के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, क्योंकि यह सरकार के नीतिगत फैसले के तहत आता है। सरकार ने यह निर्णय विशेषज्ञों की राय व अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए लिया है इसलिए बिना किसी ठोस आधार के इसे गलत ठहराना उचित नहीं होगा।
यह भी पढ़ें: West Bengal के लोगों की हिमाचल वापसी फिलहाल टली, जानिए क्यों रद्द हुई हावड़ा जाने वाली Train
‘शिमला शहर के बीचों बीच डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाना सही नहीं’
सुषमा कुठियाला द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि राजधानी शिमला के क्षेत्रीय अस्पताल दिन दयाल अस्पताल रिप्पन को डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाए जाने से न केवल राज्य व केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि डब्ल्यूएचओ (WHO) के मानकों को भी नजरअंदाज किया जा रहा है। आरोप थे कि सरकार के इस निर्णय का स्थानीय दुकानदार और लोग भी विरोध कर रहे हैं। कोविड-19 के लिए सरकार ने शिमला शहर के बीचों बीच जो डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल बनाया है, वह सही नहीं है। डीडीयू अस्पताल में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं, लेकिन अब इसे कोविड सेंटर (Covid Center) बनाया गया है। ऐसे में लोगों को मजबूरन निजी अस्पतालों व आईजीएमसी (IGMC) की ओर रुख करना पड़ेगा। इससे आईजीएमसी में भीड़ बढ़ने से सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन नहीं हो पायेगा।
यह भी पढ़ें: Breaking : कोरोना संकट के बीच हिमाचल में बदल डाले IAS, सचिव HPPSC किसे लगाया पढ़ें
इस दूसरे अस्पतालों को कोविड हॉस्पिटल बनाने का दिया था सुझाव
याचिका में कहा गया था कि डीडीयू के परिसर से रोजाना हजारों लोगों का आना जाना लगा रहता है। अस्पताल के ठीक नीचे स्थानीय बस स्टैंड है। यहां से शहर व जिले के अन्य हिस्सों के लिए दूध, ब्रेड, अखबार जैसी मूलभूत सेवाओं का संचालन किया जाता है। हॉस्पिटल के साथ ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा भी है, जहां रोजाना सैकडों जरूरत मन्द लोगों के लिए लंगर लगाया जाता है। याचिका में सुझाव दिया गया था कि शिमला में ही इंडस हॉस्पिटल, वॉकर हॉस्पिटल से मशहूर मिलिट्री हॉस्पिटल, आईजीएमसी हॉस्पिटल अथवा तारा देवी के नजदीक पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस को कोविड हॉस्पिटल बनाया जा सकता है। इससे न केवल लोगों को महामारी ले खौफ से बचाया जा सकेगा बल्कि बीमारी के संक्रमण को रोकने में भी मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें: हिमाचल Govt ने बदले डीएसपी रैंक के दो अधिकारी, पढ़े कौन कहां गया
डीडीयू में कोरोना संक्रमण के मरीजों के इलाज से किसी को कोई खतरा नहीं
सरकार की ओर से दलील दी गयी थी कि डीडीयू को सोच समझ कर डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल घोषित किया गया है। आईजीएमसी को अगर डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल घोषित किया जाता है तो प्रदेश के सबसे बड़े हॉस्पिटल में सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं बुरी तरह से पंगु हो जाएगी। डीडीयू में कोरोना संक्रमण के मरीजों के इलाज से किसी को कोई खतरा नहीं है। मरीजों को पूरी सुरक्षा से लाया जाता है और उनका इलाज भी पूरी सुरक्षा से किया जाता है। इसलिये यह सम्भावना जताना की डीडीयू में कोरोना मरीजों के इलाज से आसपास के क्षेत्रों में संक्रमण फैलेगा, यह ठीक नहीं है। कोर्ट ने सरकार की दलीलों से सहमति जताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।