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पौंग बांध विस्थापितों का राजस्थान के भू माफिया ने बढ़ाया दर्द, वन मंत्री को सुनाया दुखड़ा
रविन्द्र चौधरी, फतेहपुर। पौंग बांध विस्थापितों (Pong Dam Displaced) का दर्द आज जनमंच (Jan Manch) में भी खूब छलका। इन विस्थापितों ने रो रो कर वन मंत्री को अपना दुखड़ा सुनाया। इन विस्थापितों का कहना है कि पौंग बांध से विस्थापन के बाद राजस्थान में मिली जमीन को कुछ भू माफिया ने किसी अन्य को बेच दिया है। जब राजस्थान सरकार से इस बारे में गुहार लगाई गई तो वहां पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। मामला जिला कांगड़ा के नूरपुर के गांव सुखार में सजे जनमंच कार्यक्रम में सामने आया है। यहां जनमंच कार्यक्रम की अध्यक्षता वन मंत्री राकेश पठानिया (Forest Minister Rakesh Pathania) ने की। जनमंच में पौंग बांध विस्थापितों ने अपनी शिकायत बताई।
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तलाड़ा गांव निवासी दीना नाथ सुखार, सुरजीत सिंह के साथ कई अन्य परिवारों से आई महिलाओं ने मंत्री को अपनी व्यथा सुनाई सुनाई। उन्होंने बताया कि वह पौंग बांध विस्थापित हैं व करोना काल में राजस्थान के कुछ जमीन माफिया (Land Mafia) ने उनकी जमीन किसी अन्य को बेच दी है। उन्हें जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने राजस्थान सरकार से उनकी जमीन वापस दिलाए जाने की गुहार लगाई और जमीन माफिया पर कार्रवाई की मांग की। लेकिन राजस्थान सरकार (Government of Rajasthan) के अधिकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी व उनको बेइज्जत भी किया। उन्होंने कहा कि एक तरफ विस्थापन का दर्द तो दूसरी ओर जो जमीन मिली उसे माफिया ने अपने कब्जे में कर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कई दिनों से वह आपसे यानी वन मंत्री से भी फरियाद कर चुके हैं, लेकिन समस्या का हल नहीं हुआ। सरकार सिर्फ आश्वासन ही देती है।
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वन मंत्री ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर फोड़ा मामले का ठीकरा
वहीं वन मंत्री राकेश पठानिया ने पौंगविस्थापित मामले पर विस्थापितों को हक ना मिलने का ठिकरा राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर फोड़ दिया। उन्होंने कहा की जानबुझ कर वहां पर हिमाचल के लोगों से गुंडागर्दी की जा रही है। हमारे लोगों का वहां पर उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने एक बार फिर विस्थापितों को आश्वासन दिया है कि इस मामले में कमेटी बनाई गई है और वह खुद भी इस मामले पर पूरी नजर रखेंगे।
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जनमंच में आए 43 मामले
आज के जनमंच कार्यक्रम में विभिन्न विभागों से जुड़े कुल 43 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 40 समस्याओं का निपटारा मौके पर कर दिया गया। शेष का निपटारा अगले 10 दिनों के भीतर सुनिश्चित करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दिए गए।