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हिमाचल: आज धूमधाम से मनाया जाएगा रक्षाबंधन का त्यौहार, जाने कब बांधे भाई की कलाई पर राखी
Last Updated on August 11, 2022 by Vishal Rana
पंकज नरयाल, धर्मशाला। अगस्त का महीना त्योहारों का महीना कहा जाता हैं। इस महीने कई बड़े बड़े त्योहार मनाए जाते है। जिनमे में से एक रक्षाबंधन का हैं। रक्षाबंधन (Rakshabandhan) का पर्व पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है जो की इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को 10 बजकर 37 मिनट से लेकर 12 अगस्त को सुबह 7 बजे तक है। पंडित अजय शर्मा (Pandit Ajay Sharma) का कहना है कि रक्षाबंधन के विषय में इस बार लोगों में ये भ्रांति है कि 11 अगस्त को पूर्णिमा देर से आ रही है जबकि 12 को उदया तिथि में पूर्णिमा है इसलिए 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाए। हालांकि, पूर्णिमा तिथि पर रात्रिकालीन चंद्रमा होना चाहिए, 11 अगस्त को पूर्णिमा सुबह 10.37 बजे से लग जाएगी और पूर्णमासी जिस दिन लग रही है, उसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनेगा। यानी 11 अगस्त की पूर्णिमा में रक्षाबंधन मनाया जाना ही शास्त्रोचित है।
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पंडित अजय शर्मा ने 11 अगस्त को भद्रा काल पड़ने के संशय को लेकर बताया की जब भद्रा पाताल में होती है तो इस दौरान राखी बांधी जा सकती है। ऐसा करना नुकसानदायक नहीं बल्कि शुभ फलदायी माना जाता है। इसके साथ ही शुक्ल यजुर्वेदी ब्राह्मणों का उपाक्रम संस्कार भी 11 अगस्त को ही किया जाएगा।
क्यों है रक्षाबंधन की 11 और 12 तिथि को लेकर कंफ्यूजन?
पंडित अजय शर्मा का कहना है कि अगर तिथियों का अवलोकन किया जाए तो एकादशी, त्रयोदशी और पूर्णमासी आदि तिथि पर भद्रा रहती ही है। उन्होंने बताया कि भद्रा के विषय में एक बात है जिसके बारे में लोगों के पास जानकारी नहीं है कि भद्रा का वर्णन वास्तु शास्त्र में किया गया है। कुंभ, मीन, कर्क और सिंह में चंद्रमा हो तो भद्रा का वास मृत्यु लोक यानी पृथ्वी पर माना जाता है। इसके अलावा मेष, वृष, मिथुन ,वृश्चिक में चंद्रमा होने पर भद्रा का वास स्वर्ग लोक में होता है। वहीं, कन्या, तुला और धनु में चंद्रमा होने पर भद्रा का वास पाताल लोक में माना जाता है. ऐसे में भद्रा अगर पाताल लोक में हो या स्वर्ग लोक में यह काफी शुभ फलदायी माना जाता है। ऐसे में 11 अगस्त 2022 को भद्रा पाताल लोक में है जिसके चलते आप बिना किसी दिक्कत के 11 अगस्त को रक्षा बंधन का त्योहार मना सकते हैं और सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बाद भाइयों को रक्षा सूत्र बांध सकते हैं। भद्रा के पाताल लोक में होने के कारण वह आपको किसी भी तरह का कष्ट नहीं देगी।
प्रतिपदा तिथि में नहीं बांधी जाती राखी
पंडित अजय शर्मा का कहना है कि भद्रा अगर धरती लोक पर भी होती है तब भी उसके मुख और पूंछ का समय देखा जाता है। भद्रा के मुख के समय पर राखी नहीं बांधी जाती, लेकिन आप पूंछ के समय पर राखी बांध सकते हैं, यह शुभ फलदायी माना जाता है और इससे कोई दिक्कत भी नहीं होती। 12 तारीख को सुबह 7 बजे के आसपास पूर्णिमा तिथि समाप्त होकर प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। प्रतिपदा तिथि में राखी नहीं बांधी जाती है। ऐसे में इस साल रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त 2022 गुरुवार के दिन ही मनाया जाएगा। भद्रा पाताल लोक में होने की वजह से शुभ फलदायी साबित होगी।
रक्षाबंधन पर भद्रा काल का समय
रक्षा बंधन भद्रा अन्त समय – रात 08 बजकर 51 मिनट पर
रक्षा बंधन भद्रा पूँछ – शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट पर
रक्षा बंधन भद्रा मुख – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर 08 बजे तक
11 अगस्त को इतने बजे के बाद बांधें राखी
पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट से शुरू होकर 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में पूर्णिमा तिथि 11 को पूरा दिन है। ऐसे में आप 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 37 मिनट के बाद राखी का त्योहार मना सकते हैं।
भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी
माना जाता है कि सूर्पनखा ने रावण को भद्रा में रक्षा सूत्र बांधा था इसलिए 1 वर्ष के भीतर ही रावण का नाश हो गया था। ऐसे में भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित माना जाता है लेकिन अजय शर्मा का कहना है कि राम चरित्र मानस से लेकर वाल्मीकि रामायण में भगवान राम की बहन की ओर से राम जी को राखी बांधने का उदाहरण कहीं नहीं दिया गया है। इस वजह से शूर्पनखा द्वारा रक्षासूत्र बांधे जाने की कहानी पर सवाल खड़े होते हैं।
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