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कॉरपोरेट सेक्टर छोड़ अपनाया मछली पालन, Una के राणा बंधु बने युवाओं के रोल मॉडल
ऊना। राज्य में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने अनेक सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिनके काफी अच्छे परिणाम मिले हैं और मत्स्य पालकों की आमदनी में भी वृद्धि हुई है। लगभग 8 वर्ष पहले कॉरपोरेट सेक्टर (Corporate sector) छोड़कर घर वापस लौटे जिला ऊना के अनिल राणा व अखिल राणा ने मछली पालन (Fisheries) को अपनाया और सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होकर आज इस व्यवसाय से अच्छा मुनाफा कमा कर बेरोजगार युवाओं के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। पंजावर निवासी राणा बंधुओं ने वर्ष 2013 में मछली पालन की दुनिया में पदार्पण करते हुए सरकार की ‘नेशनल मिशन फॉर प्रोटीन सप्लीमेंट’ योजना के तहत पंजावर में पहला तालाब तैयार किया। अपने काम से उत्साहित दोनों भाईयों ने इस योजना के तहत 2 हेक्टेयर भूमि पर मछली पालन का कार्य शुरू किया।
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इसके बाद आई सरकार की ‘नीली क्रांति योजना’ के तहत पंजावर के राणा बंधुओं ने मछली पालन का क्षेत्र बढ़ाकर 4 हेक्टेयर कर लिया। अनिल राणा ने कहा “आमदनी अच्छी होने के चलते वर्तमान में चार हैक्टेयर के करीब भूमि तक मत्स्य पालन का कारोबार बढ़ा लिया है। हमारे तालाबों में 5-5 किलो वजन की मछली का उत्पादन हो रहा है तथा इससे अच्छा मुनाफा होता है। हम फार्म में रोहू, कतला और मृगल जैसी मछली की प्रजातियों के उत्पादन के साथ-साथ कॉमन कॉर्प व ग्रास कॉर्प का भी उत्पादन कर रहे हैं। इन प्रजातियों की बाज़ार में बहुत मांग रहती है और इनके बाजार में अच्छे दाम मिलते हैं।” अखिल राणा बताते हैं, “हम मछली पालन के अपने व्यवसाय को सरकार की मदद से अगले स्तर पर पहुंचाना चाहते हैं इसलिए हमने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लोक्स तकनीक (Bioflox technology) के तहत तालाब बनाने व मछली की बिक्री के लिए दुकान बनाने को आवेदन किया है। उम्मीद है कि जल्द ही सरकार हमें इसके लिए मदद प्रदान करेगी।”
अपने फार्म में राणा बंधु सालाना 40 टन मछली का उत्पादन कर रहे हैं। एक हैक्टेयर में लगभग दस हज़ार फिंगर लिंगस (मछली का बीज) डाले जाते हैं, जोकि एक साल में लगभग 10 टन के करीब तैयार हो जाते है। इसी प्रकार चार हैक्टेयर में चालीस हज़ार फीगर लिंगस डालकर लगभग 40 टन मछली उत्पादन किया जाता है। मछली पालन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए इन्हें नेशनल फिशरीज डेवलमेंट बोर्ड हैदराबाद ने 10 जुलाई 2019 को बेस्ट ‘इनलैंड फिश फार्मर ऑफ इंडिया’ का पुरस्कार भी प्रदान किया है। दिसंबर 2019 में मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने भी राणा बंधुओं के फार्म का दौरा किया था और बेहतर कार्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
एफपीओ बना आगे बढ़ाएंगे कारोबार
देश में मछली उत्पादन से जुड़े पांच एफपीओ में से एक ऊना जिला में बनाया गया है। जिसमें राणा बंधुओं ने क्षेत्र के 150 किसानों को जोड़ा है। कच्ची मछली को बेचने के साथ-साथ अब उनकी तैयारी फिश प्रोसेसिंग की भी है। मछली का आचार, कटलेट, फिश बर्गर आदि 17 तरह के उत्पाद बनाने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाया जा रहा है, जिसके लिए दोनों भाईयों ने प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया है। मत्स्य पालन विभाग ने उन्हें इसकी ट्रेनिंग चेन्नई में करवाई है। इसके अलावा फीड मिल भी स्थापित कर ली गई है, जहां पर मछली, पोल्ट्री तथा पशु चारा तैयार किया जा रहा है। एफपीओ के सदस्यों को यहां से सस्ते दाम पर फीड उपलब्ध करवाई जाएगी।
मत्स्य क्षेत्र में होगा सबसे अधिक निवेश
मत्स्य पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर (Virendra Kanwar) बताते हैं कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना को वित्त वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाना प्रस्तावित है। योजना के अंतर्गत मछली पालन के क्षेत्र में 20,050 करोड़ रुपए का निवेश होना है। इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मछली उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना है। उन्होंने बताया कि मत्स्य संपदा योजना के तहत बायोफ्लॉक तकनीक, आएएस तकनीक, बर्फ़ उत्पादन तथा मछली के चारे का प्लांट लगाने तथा आउटलेट निर्माण के लिए सरकार की ओर से 40-60 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती है। महिलाओं, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 60 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के व्यक्तियों को 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है।