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सर्विस करियर में पाए अधिकार को अधिसूचना जारी कर नहीं छीना जा सकता : हाईकोर्ट
शिमला। सर्विस करियर (service career) में पाए अधिकार को अधिसूचना जारी कर नहीं छीना जा सकता। यह व्यवस्था न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने पुलिस विभाग में सेवारत 26 याचिकाकर्ताओं की 4 याचिकाओं का निपटारा करते हुए दी। याचिकाओं में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी जो वरिष्ठ लिपिक के पद (Senior Clerk Posts) पर पदोन्नत हो गए थे उन्हें 1 सितंबर 1998 व 30 मई 2001 को जारी की गई अधिसूचना के तहत लिपिक के पद पर वापस भेज दिया गया। यही नहीं उनके वेतन को भी कम कर दिया गया। जब प्रार्थियों को बतौर कनिष्ठ सहायक (Junior Assistant) पदनामित किया गया तो भी उनके वेतन को कम कर लिया गया।
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जबकि हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विसेज रिवाइज रूल्स 1998 के मुताबिक प्रार्थियों के वेतन का निर्धारण किया गया था। मगर इन अधिसूचनाओं के आने के पश्चात उनके पदनाम को निचले स्तर पर करने के साथ वेतन भी कम कर दिया गया। प्रदेश उच्च न्यायालय ने दोनों अधिसूचनाओं को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया । उनके अधिसूचना से पूर्व पदनाम को बहाल करने के साथ उनके वेतन को भी संरक्षित करने के आदेश पारित कर दिए। हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट तौर पर कहा कि इस निर्णय का लाभ केवल उन 26 प्रार्थियों को ही मिलेगा जोकि अपनी याचिकाएं लेकर हाईकोर्ट के समक्ष आए थे।