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ऋषि मार्कण्डेय थरास ने हारियानों के साथ ब्यास में किया स्नान, हजारों ने किए दर्शन
यहां शैतानों को पत्थर मारने की परम्परा भी कायम है जिसे स्नान से पूर्व सांकेतिक रूप से निभाया गया। शुक्रवार सुबह 11 बजे देवता थरास गांव से देवलुओं के साथ अपने प्राचीन मंदिर (Old Temple) मकराहड़ पहुंचे। यहां पूजा के बाद देवता के कारकून उल्टे पैर ब्यास और गोमती नदी के तट पर स्थित संगम की ओर देवता के आगे चले। फिर हजारों लोगों ने देवता के साथ ब्यास नदी में स्नान किया और बोतलों में पानी भर घर ले गए। इसके बाद देवता उस खेत में जा पहुंचा जहां एक महिला को सदियों पूर्व देवता का मोहरा मिला था। यहां पहुंचते ही देवता धरती मां के आंचल से लिपट गए और तीन बार धरती मां का स्पर्श किया। बार.बार देवरथ वापस आता रहा और धरती मां का स्तनपान किया। मान्यता है कि इस वक्त धरती फट जाती है और बालक रूपी ऋषि को अपनी गोद में लेकर दुलार कर दूध पिलाती है। इस दौरान हजारों लोग इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने। मंदिर पहुंचते ही देवता के गुर ने भविष्यवाणी कर सुख शांति का संदेश दिया।