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यहां हर साल विधवा का जीवन जीती हैं सुहागिनें, 5 महीने नहीं करती श्रृंगार
Last Updated on November 19, 2021 by saroj patrwal
भारत देश में कई तरह के समुदाय हैं और हर समुदाय के अपने रीति-रिवाज व परंपराएं हैं। देश में एक समुदाय ऐसा भी है, जिसमें महिलाएं हर साल विधवा जैसी जिंदगी जीती हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गछवाहा समुदाय के लोगों के अपने अलग रीति-रिवाज हैं। इस समुदाय की महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए हर साल 5 महीने के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं।
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हर धर्म में शादी के बाद महिलाओं को सुहागिन कहा जाता है। शादी के बाद महिलाएं की तरह के श्रृंगार करती हैं व सजती-संवरती हैं। हिंदू धर्म की महिलाएं सोलह श्रृंगार, बिंदी, सिंदूर, जैसी चीजों से श्रृंगार कर सुहागिन का जीवन जीती हैं। हिंदू धर्म के अनुसार सुहागिन महिला का श्रंगार न करना अपशगुन माना जाता है। वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश का गछवाहा समुदाय तरकुलहा देवी को अपना कुलदेवी मानता है। इस समुदाय के लोग तरकूलहा देवी की पूजा करते हैं। इस समुदाय की महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए विधवा की जिंदगी जीती हैं। इस समुदाय की महिलाएं कई वर्षों से इस अनोखी परंपरा का पालन करती आ रही हैं। इस समुदाय की महिलाएं पति के जिंदा होते हुए भी हर साल 5 महीने के लिए विधवाओं की तरह रहती हैं और उदास भी रहती हैं। वहीं, इस दौरान इन महिलाओं के पति पेड़ों से ताड़ी उतारने का काम करते हैं। ताड़ के पेड़ काफी लंबे और सीधे होते हैं और उनसे ताड़ उतारना काफी मुश्किल काम होता है। मान्यता है कि गछवाहा समुदाय की महिलाएं इन पांच महीनों तक कुलदेवी से अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। समुदाय की महिलाएं अपना सारा श्रृंगार का सामान कुलदेवी के मंदिर मेंरख देती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से कुलदेवी तककूलहा महिलाओं से खुश हो जाती हैं और उनके पति के प्राणों की रक्षा करती हैं।