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करवा चौथः सरगी की थाली का महत्व जानते हैं आप, आखिर क्या-क्या होता है इसमें
हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन करवाचौथ का व्रत रखा । इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखकर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। ये दिन विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही खास होता है। . इस दिन, विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले ‘सरगी’ खाती हैं और बाकी दिन बिना पानी और भोजन किए व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।सरगी एक सदियों पुरानी रस्म है जो इस दिन विशेष रूप से उत्तर भारत में की जाती है। आज हम आप को सरगी के बारे में बता जा रहे हैं।
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सरगी वो भोजन है जो विवाहित महिलाओं को सूर्योदय से पहले खानी होती है। पारंपरिक भोजन में अलग-अलग तरह के फूड्स शामिल होते हैं, जो एक महिला को अपनी सास से मिलते है। सरगी व्रत के दौरान महिला को पूरे दिन ऊर्जावान रहने में मदद करती है। सरगी का सेवन हमेशा ब्रह्म मुहूर्त के दौरान किया जाता है । करवा चौथ एक निर्जला व्रत है । यही कारण है कि सरगी थाली में बहुत सारे ताजे फल होते हैं। जो दिन भर भरा और हाइड्रेटेड रखते हैं। साथ ही बादाम, पिस्ता, किशमिश, काजू जैसे सूखे मेवे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर को भरपूर ऊर्जा प्रदान करते हैं। सुबह इनका सेवन सरगी के रूप में करने से उपवास करने वाली महिला पूरे दिन ऊर्जावान रहती है।
परंपरागत रूप से, सरगी थाली में हमेशा एक या एक से अधिक मिठाइयां होती हैं। मिठाई ग्लूकोज और सुक्रोज से भरपूर होती हैं जो आपके शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करती हैं। आप अपनी सरगी थाली में एक कप चाय भी ले सकते हैं या फिर एक गिलास ताजे फल या सब्जियों के जूस का भी सेवन किया जा सकता है जो आपको हाइड्रेट रखता है। थाली में हल्के भोजन जैसे सब्जियों के साथ सेंवई या दूध के साथ मीठी सेंवई भी शामिल हो सकती है। इस त्योहार के दौरान आमतौर पर फेनियां और मट्ठी का आनंद लिया जाता है। बहुत सारे दूध और सूखे मेवों के साथ ताजा बनाई गई फेनियां भी ले सकते हैं
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