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एसआर हरनोट ने किया ‘हिन्दी दलित साहित्य: विमर्श के आईने में’ पुस्तक का विमोचन
शिमला। आज हिन्दी साहित्य के चर्चित कथाकार, कवि, समीक्षक, हिमाचल के प्रतिनिधि हस्ताक्षर एसआर हरनोट (SR Harnot) द्वारा शिमला में डॉ. सुरेन्द्र शर्मा द्वारा संपादित आलोचनात्मक पुस्तक ‘हिन्दी दलित साहित्य : विमर्श के आईने में’ का विमोचन किया गया। एसआर हरनोट समकालीन हिन्दी साहित्य में एक जाना माना प्रतिष्ठित नाम है। उहोंने साहित्य के प्रत्येक विधाओं जिनमें कहानी, उपन्यास, कविता, निबंध, संस्मरण आदि में सृजन कर हिन्दी साहित्य जगत को आलोकित किया है। इस अवसर पर पुस्तक के सम्पादक डॉ. सुरेन्द्र शर्मा (Dr. Surendra Sharma) और एसजेवीएनएल में भाषा अधिकारी डॉ प्रवीण ठाकुर उपस्थित रहे।
दलित साहित्य मानवीय सरोकारों का साहित्य है। वह नकारात्मक नहीं सकारात्मक साहित्य है। दलित साहित्य में आक्रोश या विद्रोह की भावना प्रमुख है, दलित साहित्य में सामाजिक दर्द है, दलित साहित्य में जातिवाद की पीड़ा है, दलित साहित्य में उत्पीड़न की कसक है, जाति उत्पीड़न तथा शोषण के कारणों की खोज है, भाग्यवाद को अस्वीकार करने की पुरजोर आवाज है। एक चुनौती है कि सारे दुर्गुणों से हम निपट लेंगे। होंगे कामयाब एक दिन का दुर्दम्य विश्वास है।
‘हिन्दी दलित साहित्य : विमर्श के आईने में’ शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक हिन्दी साहित्य में दलित के जीवन की संवेदना, व्यथा व चेतना के विविध आयामों को उजागर करता हुआ विविध विचारों ,भावों एवं रचनाओं का मूर्त्त रूप है। यह सम्पादित पुस्तक देश के अलग-अलग राज्यों से सम्बद्ध विविधमुखी विद्वानों,साहित्यविदों, शोधार्थियों की सृजनात्मक रचनाओं से युक्त बहुरंगी वाटिका की तरह सुसज्जित है जिसमें हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं जैसे – कविता,कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, यात्रा संस्मरण आदि पर आधारित शोध आलेख संकलित हैं। ये पुस्तक मनीष प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित हुई हैं और अमेजॉन और फ्लिपकार्ट के माध्यम से देश के कोने-कोने में पहुंचकर सही मायने में सृजन के सरोकार को चरितार्थ कर रही है। इस सृजनात्मक उपलब्धि के लिए एसआर हरनोट ने सभी साहित्यविदों, विद्वतजनों, रचनाकारों को बधाई दी और अपना आशीर्वाद प्रदान कर उज्ज्वल भविष्य के लिए मंगलकामनाएं भी प्रदान दी।
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