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धरती पर सबसे ठंडे शहर की कहानीः पत्थर बन जाती है यहां खाने- पीने की चीजें
उत्तर भारत में इस समय जम कर सर्दी पड़ रही है। हिमाचल सहित जम्मू, उत्तराखंड में पहाड़ बर्फ की सफेद चादरे ओढ़े हुए हैं। पहाड़ों पर हो रही बर्फबारी के चलते निचले इलाकों में पारा लुढ़क गया है। शीतलहर से जनजीवन पर असर पड़ा है। कई जगह पर तापमान माइनस में पहुंच गया है। जरा सोचिए दुनिया में ऐसे भी कई हिस्से हैं यहां कई फीट बर्फ गिकी है और तापमान पहुंच जाता है -40 या इससे भी कम। ऐसी जगहों पर रहना किसी चुनौती से कम नहीं। तो चलिए आज हम आप को ऐसे ही शहर के बारे में बताते हैं जहां खून जमाने वाली ठंड पड़ती है।
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ये शहर मगर रूस के साइबेरिया में पड़ता है और नाम है याकुत्स्क। यह शहर धरती का सबसे ठंडा माना जाता है। साइबेरिया के याकुटिका राज्य की कैपिटल याकुत्स्क मॉस्को के पूर्व में करीब 3100 मील दूर हैं। धरती के सबसे ठंडे इस शहर की आबादी 3.60 लाख है। अक्टूबर से अप्रैल तक यहां जमकर ठंड पड़ती है और यकीन मानिए गर्मियों के माह जुलाई में पारा 24 डिग्री के आसपास रहता है।
याकुत्स्क का तापमान सर्दियों में अमूमन -40 डिग्री तक रहता है जबकि शहर के बाहरी क्षेत्र में -70 डिग्री तक पहुंच जाता है। यहां ठंड का आलाम यह है कि खाने-पीने की चीजें जम कर पत्थर बन जाती हैं। पानी पीने के लिए बर्फ को पिघलाना पड़ता है। -71डिग्री तक पारा पहुंचने की वजह से अंडा इतना कड़ा हो जाता है कि हथौड़े से नहीं तोड़ा जा सकता। यहां के लोगों को ठंड में जीने के लिए कई कपड़े पहनने होते हैं। जो लोग यहां रहते हैं उनका कहना है कि शहर में रहने के दौरान आपको ठंड ज्यादा महसूस नहीं होती, क्योंकि इसके लिए दिमाग आपको तैयार कर देता है ।