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नई दिल्ली। प्रसिद्ध आर्य समाज के नेता स्वामी अग्नीवेश (Swami Agnivesh) का 11 सितंबर को दुखद निधन हो गया। स्वामी अग्निवेश को मंगलवार को तबियत बिगड़ने के बाद दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बायिलरी साइंसेज (ILBS) ने स्वामी अग्निवेश के निधन की पुष्टि करते हुए कहा, ‘स्वामी अग्निवेश को शुक्रवार शाम 6 बजे कार्डियक अरेस्ट हुआ। उन्हें बचाने की भरपूर कोशिश की गई, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका। उन्होंने शाम 6:30 बजे अंतिम सांस ली।’
वह लिवर सिरोसिस से पीड़ित थे और इलाज के दौरान उन्हें मल्टी ऑर्गन फेल्योर की समस्या से भी जूझना पड़ा। हरियाणा के पूर्व विधायक अग्निवेश ने 1970 में एक राजनीतिक पार्टी आर्य सभा की स्थापना की, जो आर्य समाज के सिद्धांतों पर आधारित थी। वह धर्मों के मामलों में वार्ता के लिए एक वकील भी थे। कल (गुरुवार) को अस्पताल प्रबंधन ने जानकारी दी थी कि मल्टी ऑर्गन फेल होने से उनकी हालत में गिरावट आई है, जिससे उनकी हालत अब काफी गंभीर बनी हुई है। स्वामी अग्निवेश की हालत को देखते हुए अलग-अलग विभागों के डॉक्टरों की एक टीम उनकी निगरानी में लगातार जुटी हुई थी। वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
उन्हें लिवर से जुड़ी परेशानी होने के कारण डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण की सलाह भी दी थी। 21 सितंबर, 1939 को जन्मे स्वामी अग्निवेश सामाजिक मुद्दों पर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे। 1970 में आर्य सभा नाम की राजनीतिक पार्टी बनाई थी। 1977 में वह हरियाणा विधानसभा में विधायक चुने गए और हरियाणा सरकार में शिक्षा मंत्री भी रहे। 1981 में उन्होंने बंधुआ मुक्ति मोर्चा नाम के संगठन की स्थापना की। जन लोकपाल विधेयक को लागू करने के लिए 2011 में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के अभियान के दौरान वह अन्ना हजारे के प्रमुख सहयोगी थे।
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