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झारखंड के घने जंगलों में पाया जाने वाला रुगड़ा सेहत के लिए होता है फायदेमंद
हर क्षेत्र विशेष की अपनी पहचान होती है। वहां की अपनी संस्कृति होती है। वहां का अपना पहरावा भी होता है और वहां की स्पेशल डिश भी होती है। ये सभी चीजें उस क्षेत्र विशेष की पहचान होती हैं। तो आइए आज आपको झारखंड की स्पेशल डिश रुगड़ा (special dish rugada) के बारे में बताते हैं। यह झारखंड का वेज मटन (Veg Mutton ofJharkhand) कहलाने वाल रुगड़ा होता है। इसको बनाना बहुत जटिल प्रक्रिया है। यह सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी लाभदायक मानी जाती है।
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प्राकृतिक आधार पर उगता है रुगड़ा
रुगड़ा प्राकृतिक आधार पर उगता है। बात साफ हुई कि इसकी खेती नहीं की जाती है। यह झारखंड के घने जंगलों में साल के पेड़ों के आधार पर उगता है। यह रांची जिले के बुंडु, तामार और पिथौरिया के साल के जंगलों में पाया जाता है। यहां जुलाई माह में औसतन 350-380 सेंटीमीटर बारिश (350-380 cm of rain) होती है। यहां धूप अच्छी मात्रा में खिलती है और वहीं यहां का तापमान भी 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है। इसी वातावरण में रुगड़ा का विकास होता है।
पेड़ के नीचे खोदना पड़ती है मिट्टी
रुगड़ा को एकत्रित करना कोई आसान बात नहीं है। इसके लिए आदिवासी महिलाएं साल के पेड़ के नीचे खुदाई करती हैं। यह बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है। सही मात्रा में इसको एकत्रित करने के लिए कम से कम एक घंटे का समय लग ही जाता है। लोग इसे एकत्र कर मार्केट में फिर इसको दौ सौ से लेकर तीन सौ रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं। यह रुगड़ा पोषण तत्वों से भरूपर होता है। इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन (protein) पाया जाता है। वहीं इसमें कार्बोहाइड्रेट नहीं होता है। यह हृदय रोगियों, रक्तचाप और मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण है। वहीं एनीमिया से पीड़ित लोगों के लिए भी यह फायदे की चीज है।
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