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#DiegoMaradona के जीवन से जुड़ी ये खास बातें, इस तरह बने थे #Football के जादूगर
दुनिया के महान फुटबॉलरों की लिस्ट में शामिल डिएगो माराडोना ( #DiegoMaradona) अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनका 60 वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से निधन हो गया। वर्ष 1986 में अपने दम पर अर्जेंटीना को फुटबॉल वर्ल्ड कप जिताने वाले माराडोना की कुछ दिन पहले ब्रेन में ब्लड क्लॉट की सर्जरी की गई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी मिल गई थी और वह घर भी आ चुके थे, लेकिन फिर हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। दुनियाभर के फुटबॉल प्रेमियों के लिए माराडोना के जाने की खबर किसी झटके से कम नहीं है। हम आप को बताने जा रहे हैं इस महान खिलाड़ी के बारे में कुछ खास बातें
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डिएगो माराडोना का पूरा नाम डिएगो आर्मैन्ड़ो माराडोना( Diego Armando Maradona) था और उनका जन्म 30 अक्टूबर 1960 को अर्जेंटीना के लानुस में एक गरीब परिवार में हुआ था। तीन बेटियों के बाद वे पहले पुत्र थे और उनके दो छोटे भाई भी हैं। माराडोना बचपन से ही फुटबॉल खेलने के शौकीन रहे। मेराडोना जब 10 साल के थे तब उनका चयन प्रतिभा स्काउट द्वारा किया गया। उसके बाद से उन्होंने फुटबॉल( #Football)को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। 15 साल की उम्र में अर्जेंटीनोसा जूनियर्स से पेशेवर करियर का आगाज किया। इसके बाद नामी क्लब बोका जूनियर्स की नजर उन पर पड़ी। क्लब ने 10 लाख पाउंड की अच्छी कीमत देकर उन्हें अपने साथ जोड़ लिया। धुआंधार प्रदर्शन से माराडोना को अगले साल अर्जेंटीना फुटबॉल टीम में चुना गया। 1982 में उन्हें पहला वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिला पर वह पांच मैचों में दो गोल ही दाग सके, पर उनकी टीम सेमीफाइनल तक पहुंची। उस वर्ल्ड कप में माराडोना को यह यकीन हो गया कि उनकी टीम में भी चैंपियन बनने का दम है।
1986 में कप्तान डिएगो माराडोना के पूरे टूर्नामेंट के दौरान शानदार प्रदर्शन से अर्जेंटीना( Argentina) ने विश्व खिताब जीता था। इस खिताबी जंग में 24 टीमों ने हिस्सा लिया था। टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में अर्जेटीना की टीम वेस्ट जर्मनी को 3-2 से हराकर विश्व विजेता बनी थी। माराडोना के अचंभित कर देने वाले खेल ने सभी पर अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ा था। उन्होंने इस टूर्नामेंट में पांच गोल दागे। इतना ही नहीं, उन्होंने पांच गोल में मदद भी की। अर्जेंटीना की टीम को ख़िताब तक पहुंचाने के लिए माराडोना ने एक मजबूत पुल की तरह काम किया। इसके बाद से ही माराडोना की लोकप्रियता दुनियाभर में हो गयी।1986 के वर्ल्ड कप क्वार्टर फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ माराडोना का गोल चर्चित और विवादित रहा। गेंद उनके कंधे के नीचे बाजू से लगकर गोल पोस्ट में गई थी। रेफरी उसे देख नहीं सके थे और इसे गोल करार दे दिया गया था। माराडोना ने इस गोल को ईश्वर की मर्जी बताते हुए ‘हैंड ऑफ गॉड’ करार दिया था।माराडोना ने पूरे करियर में कई अवार्ड्स अपने नाम किये। उन्होंने फीफा अंडर 20 वर्ल्ड कप के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के लिऐ गोल्डन बॉल पुरस्कार जीता। माराडोना ने साल 1979, 1980 और 1981 में अर्जेंटाइन लीग टॉप स्कोरर अवॉर्ड भी जीता।
1980 से 2004 तक माराडोना को कोकीन की लत लगी जिससे उनके फुटबॉल खेलने की क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ा। पकड़े जाने पर 15 महीने के लिए बैन भी हुए थे। उन्होंने1991 में प्रतिबंधित दवा ली और उन पर डोप का आरोप लगा। साल 1994 में वर्ल्ड कप में एफेड्रिन लेने पर उन्हें निलंबित किया गया।2000 में माराडोना ने “आई एम दी डिएगो” नाम से अपनी आत्मकथा लिखी थी। दुनिया में जिस तरह से माराडोना की लोकप्रियता है उसी तरह यह किताब भी फेमस हुई। यह किताब मार्केट में तुरंत ही बेस्ट सेलर में शामिल हो गई थी। सदी के महान फुटबॉलर माराडोना फीफा के पोल में पेले को पीछे छोड़ते हुए 20वीं सदी के महानतम फुटबॉलर चुने गए।सन् 2000 में फीफा ने इंटरनेट पर “प्लेयर ऑफ द सेंचुरी” के लिए ऑनलाइन वोटिंग कराई थी और इसमें माराडोना को 53.6 % फीसदी वोट के साथ शीर्ष स्थान हासिल हुआ था।