-
Advertisement
रथ सप्तमी का व्रत आज, क्या है पूजा के नियम और शुभ-मुहूर्त यहां जानिए
हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रथ सप्तमी, (Rath Saptami) अचला सप्तमी कहते हैं। इस साल रथ सप्तमी आज यानी 16 फरवरी को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूरे ब्रह्मांड को सूर्यदेव (Surya Dev) ने अपनी दिव्य ज्योति से प्रकाशित किया था। सप्तमी तिथि का संबंध सूर्य देव से भी जोड़ा जात है। इस दिन भक्तिभाव से की गई पूजा से प्रसन्न होकर सूर्यदेव अपने भक्तों को सुख-समृद्धि, और आरोग्य का आशीर्वाद देते हैं।
रथ सप्तमी शुभ-मुहूर्त (Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी सुबह 10:13 बजे से शुरू होकर आज 16 फरवरी की सुबह 08:54 बजे तक रहेगी। ऐसे में सप्तमी तिथि का सूर्योदय 16 फरवरी यानी आज होगा, इसलिए आज रथ सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, पूजा का शुभ-मुहूर्त सुबह 8:23 से 11:11 बजे और दोपहर 12:35 से 1:59 बजे तक रहेगा।
पूजा के नियम (Rules of Puja)
मान्यता है कि इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरत की वस्तुएं देनी चाहिए। इस दिन सूर्य उपासना करने वालों के लिए एक समय नमक रहित भोजन और फलाहार करने का विधान है। जो भी साधक व्रत करेगा उसे नीले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए, नहीं तो पूजा का फल प्राप्त नहीं होगा।
यह भी पढ़े:गरुड़ पुराणः अगर घर में पैसों की नहीं है बरकत तो अपनाएं ये खास उपाय
रथ सप्तमी व्रत कथा (Vrat Katha)
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक वैश्या ने पूरे जीवन में कभी भी कोई दान-पुण्य का कार्य नहीं किया। जब बुढ़ापे का वक्त आया तो उसे अपनी गलती का अहसास हुआ तो वह ऋषि वशिष्ठ के पास गईं। तब ऋषि वशिष्ठ ने उसे रथ सप्तमी यानी अचला सप्तमी के व्रत के महत्व के बारे में बताया। ऋषि ने बताया कि इस दिन यदि कोई व्यक्ति सूर्य को जल अर्घ्य देकर भगवान सूर्य को दीप दान करता है तो उसे बहुत पुण्य मिलता है। वैश्या ने ऋषि के कहे अनुसार रथ सप्तमी का व्रत किया, जिसके प्रभाव से शरीर त्यागने के बाद उसे इंद्र की अप्सराओं की मुखिया बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
-धर्म डेस्क