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बड़े प्रोजेक्ट को फंड करने के लिए बनेगा नेशनल बैंक, DFI दिया जाएगा नाम
नई दिल्ली। अब केंद्र सरकार बड़े विकास कार्यों के लिए एक नेशनल बैंक डीएफआई (DFI) बनाएगी। इसके जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े बड़े प्रोजेक्ट को फंडिंग (Funding) में मदद की जाएगी। हालांकि इसका ऐलान केंद्रीय बजट 2021-22 में भी किया गया था, लेकिन आज इस पर केंद्रीय कैबिनेट (Central Cabinet Meeting) ने मुहर लगाई। पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आज केंद्रीय कैबिनेट (Cabinet Meeting) की मीटिंग हुई। कैबिनेट मीटिंग में नया नेशनल बैंक (New National Bank) बनाने का फैसला लिया गया है। यह नेशनल बैंक देश बड़े विकास प्रोजेक्ट को फंड (Fund) करने के लिए काम करेगा।
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केंद्र सरकार ने इस नेशनल बैंक को विकास वित्त संस्थान (Development Finance Institute) यानी डीएफआई कहा जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी साझा की। केंद्रीय वित्त मंत्री (Union Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने बजट में इस तरह का बैंक बनाने को लेकर घोषणा की थी। आज कैबिनेट मीटिंग (Cabinet Meeting) में इसे मंजूरी दी गई है है। विकास वित्त संस्थान (DFI) में शुरुआत में केंद्र सरकार 20 हजार करोड़ डालेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के मुताबिक, विकास वित्त संस्थान (DFI) देश में जारी बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को फंड करने का काम करेगा। सरकार के मुताबिक इस नई संस्था को बिल्कुल जीरो से शुरू किया जाएगा। इसके लिए एक बोर्ड (Board) का गठन होगा, वही बोर्ड आगे के फैसले लेगा।
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During #Budget2021, we had mentioned that we will be setting up a national bank to fund infrastructure and developmental activities
– Finance Minister @nsitharaman
🎥https://t.co/jiYNKSOcJ9 pic.twitter.com/6yVlUkfGS4
— PIB in Maharashtra 🇮🇳 (@PIBMumbai) March 16, 2021
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केंद्रीय वित्त मंत्री (Union Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने इस बैंक के द्वारा बॉन्ड जारी कर इसमें निवेश किया जाएगा। इसके जरिए अगले कुछ वर्षों में 3 लाख करोड़ रुपए जुटाने की उम्मीद की गई है। इसमें निवेश करने वालों को टैक्स (Tax) बेनिफिट भी दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बैंक में बड़े सॉवरेन फंड, पेंशन फंड (Pension Funds) निवेश कर सकते हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री के मुताबिक कोई भी पुराना बैंक (Bank) इस तरह के बड़े प्रोजेक्ट में फंड करने के लिए तैयार नहीं था। करीब 6000 ग्रीन-ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिन्हें फंडिंग की जरूरत है। यही कारण है कि इस तरह के संस्थान का फैसला लिया गया है।