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Kanpur Encounter : विकास दुबे के साथी दयाशंकर का खुलासा, Police Raid से पहले ही मिल गई थी सूचना
नई दिल्ली। कानपुर मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद पुलिस एक्शन में हैं। कानपुर (Kanpur) की कल्याणपुर में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के साथी दया शंकर अग्निहोत्री को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। अग्निहोत्री को बीत रात एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था। मुठभेड़ में दयाशंकर के पैर में गोली लगी है। पुलिस और बदमाशों के बीच कल्याणपुर थाना इलाके में यह मुठभेड़ हुई थी। दयाशंकर ने पुलिस के साथ पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। उसने कहा है कि मुठभेड़ (Encounter) के दौरान विकास दुबे खुद बंदूक लेकर पुलिस पर फायरिंग कर रहा था। ये बंदूक दयाशंकर के नाम पर थी। विकास दुबे ने 25 से 30 लोगों को बुलाया था, जिनके पास अवैध असलहे थे। पुलिस दबिश से पहले विकास के पास एक फोन आया था, जो कि थाने से भी हो सकता है। दयाशंकर ने बताया कि गांव विकास दुबे के गुर्गों की बैठक गांव के पास एक बगिया में होती थी। विकास दुबे अपने साथियों को फोन कर बुलाता था।
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एक के बाद एक हो रहे कई खुलासे, ADM करेंगे केस की जांच
सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे (Vikas Dubey) की लास्ट लोकेशन उत्तर प्रदेश के औरैया में मिली है। औरेया मध्य प्रदेश से सटा हुआ है, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि विकास दुबे एमपी की ओर भाग सकता है। वारदात की जांच के दौरान कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। विकास की कॉल डिटेल में कुल 24 पुलिसवालों के नाम सामने आए हैं। सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे के साथ चौबेपुर थाने का एक दारोगा और दो सिपाहियों के लगातार संपर्क में रहने के साक्ष्य मिले हैं। शिवराजपुर थाने के भी कुछ सिपाही विकास दुबे के लगातार संपर्क में थे। इस बीच यूपी पुलिस ने बिकरू गांव एनकाउंटर की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं। इस केस की जांच ADM करेंगे।
गौर हो कि कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में गुरुवार रात को कुख्यात अपराधी विकास दुबे और उसके साथियों से मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शहीदों में सीओ बिल्हौर, एसओ शिवराजपुर के अलावा दो दरोगा, चार सिपाही शामिल थे। शातिर बदमाशों ने गोलियों के अलावा बम और कुल्हाड़ी जैसे धारदार हथियारों से पुलिसकर्मियों पर हमला किया था। कई पुलिसकर्मियों के असलहे तक लूट लिए थे। विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र को वीभत्स तरीके से मारा था। हमला होते ही सीओ दीवार कूदकर एक घर में जाकर छिपे थे। ये घर विकास के मामा का था। बदमाशों ने घर में घुसकर दीवार से सटाकर सीओ के सिर पर ताबड़तोड़ कई गोलियां मारीं। पूरा शव क्षत-विक्षत कर एक पैर भी काट दिया था।
चौराहे पर पुलिसकर्मियों के शव जलाने का था प्लान
एक खुलासे के मुताबिक विकास दुबे गुरुवार की रात आठों पुलिस वालों की मौत के बाद उनके शव (Dead body) को गांव में ही चौराहे पर जलाना चाहता था। इन सब में विकास दुबे की मदद कर रहे थे डरे हुए गांव के लोग। पुलिस वालों की हत्या की खबर मिलने के बाद जब पुलिसकर्मी वहां पहुंचे तो पुलिस वालों के शव एक के ऊपर एक पड़े हुए थे। सभी शवों को जलाने के लिए घर में मौजूद ट्रैक्टर से तेल निकाला जा रहा था तभी पुलिस की दूसरी टीम मौके पर पहुंच गई और बदमाश वहां से भाग निकले। गांव में विकास का खौफ ऐसा था कि किसी ने भी उसके खिलाफ मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटाई। पुलिस गांव वालों से पूछती रही लेकिन सब चुप रहे।