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भारत में क्यों अधिक मिल रहे बिना लक्षण वाले #Covid19 मरीज, यहां जानें कारण
नई दिल्ली। चीन के वुहान से उपजे कोरोना वायरस (#Coronavirus) ने दुनिया के अधिकांश देशों को अपनी चपेट में ले रखा है। लाखों लोगों की इस महामारी के चलते जान जा चुकी है। भारत पर भी इस गंभीर महामारी का काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। एक तरफ जहां विश्व के सबल और आर्थिक रूप से मजबूर देश इस वायरस का सामना करने में कमजोर साबित होते नजर आ रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ भारत (India) और उसके लोग अपनी गरीब और अभाव में जीवन बिताने का अनुभाव होने की वजह से इस बीमारी का सामना तो कर ही रहे हैं और उनसे मजबूत स्थिति में भी हैं।
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यहां जानें क्यों अधिक मिल रहे हैं बिना लक्षण वाले Covid-19 मरीज
भारत में कोरोना वायरस के ऐसिंप्टोमेटिक यानी बिना लक्षणों वाले मरीज (Asymptomatic Patients) अधिक देखने को मिल रहे हैं। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह है कि गरीबी और संसाधनों के अभाव के कारण आंधी, धूल, तीक्ष्ण गर्मी और बाढ़ जैसी स्थितियों से निपटते हुए हमारे देश के ज्यादातर लोगों का हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस के साथ एक्सपोजर हो चुका होता है। इस कारण ज्यादातर लोगों के शरीर में वायरस के बेसिक स्ट्रेन (मूल रूप) को पहचानने और उसे खत्म करनेवाली इम्यून सेल्स मौजूद होती हैं। ये वही इम्यून सेल्स होती हैं, जो शरीर में वायरस की ऐंट्री होते ही अपनी संख्या तेजी से बढ़ाने लगती हैं और वायरस को शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से रोकती हैं।
बचपन से ही हमारे भीतर डेवलप होते हैं इम्यून सेल्स
हमारे देश की बड़ी आबादी को बचपन से ही स्ट्रीट फूड, बिना फिल्टर किया हुआ पानी, भीड़-भाड़ वाले एरिया में खुले आसमान के नीचे बन रहा खाना इत्यादि खाने की आदत होती है। इसके चलते बचपन से हमारे देश की बड़ी आबादी के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित हो जाती है। बचपन में हमारे शरीर में इम्यून सेल्स विकसित करने की क्षमता सबसे अधिक होती है। बचपन में हमारे शरीर को जैसा माहौल मिलता है, हम वैसे ही बनते जाते हैं। यही वजह है कि कोरोना संक्रमण का वायरस हमारे देश के युवाओं और बच्चों पर उतनी तेजी से हावी नहीं हो पाया, जैसा कि विकसित देशों में देखने को मिला है।
आईसीएमआर के शोध में भी हुआ खुलासा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने अपने इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में बताया है कि कोरोना संक्रमित केवल 17 फीसद लोगों में बुखार और 5.6 फीसद में सांस की परेशानी पाई गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे देशों में बुखार कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों के रूप में सामने आया है। इस अध्ययन में पता चला है कि सिर्फ 17.4 फीसद भारतीय मरीजों को ही संक्रमण के दौरान बुखार था। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि चूंकि बहुत कम पॉजिटिव मरीजों को बुखार था। इस हिसाब से मरीजों की जांच और उपचार के दौरान दूसरे लक्षणों पर भी ध्यान देना चाहिए। शोधकर्ताओं ने पाया कि इन मरीजों को संक्रमण ऐसे राज्यों की यात्रा के दौरान हुआ, जो वायरस प्रभावित थे।