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गुप्त नवरात्र : आज करें दूसरी शक्ति मां तारा की आराधना
मां तारा दस महाविद्या की दूसरी देवी है। इसे “तारिणी” माता भी कहा गया है। तारा माता के शरण मे जो साधक आता है उसका जीवन सफल हो जाता है। मां तारा (Maa Tara) को दस महाविद्याओं में से दूसरी महाविद्या कहा गया है। देवी तारा को सुंदर लेकिन आत्म दहन के रूप में देखा जाता है। तारा वह देवी हैं जो परम ज्ञान और मुक्ति को प्रदान करती हैं। मां तारा को नील सस्वती के रूप में भी जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मां तारा का स्वरूप भी मां काली की तरह ही बताया गया है। जहां मां काली का रंग अत्याधिक काला तो देवी तारा का रंग नीला बताया गया है। मां तारा ने बाघ की खाल के वस्त्र धारण किए हैं।देवी तारा साधना की साधना धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए की जाती है। मां तारा की साधना करने से ज्ञान की भी प्राप्ति होती है।
तारापीठ में देवी सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए इस स्थान को नयन तारा भी कहा जाता है। यह पीठ पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला में स्थित है। इसलिए यह स्थान तारापीठ के नाम से विख्यात है। प्राचीन काल में महर्षि वशिष्ठ ने इस स्थान पर देवी तारा की उपासना करके सिद्धियां प्राप्त की थीं। इस मंदिर में वामाखेपा नामक एक साधक ने देवी तारा की साधना करके उनसे सिद्धियां हासिल की थी। तारा माता के बारे में एक दूसरी कथा है कि वे राजा दक्ष की दूसरी पुत्री थीं। तारा देवी का एक दूसरा मंदिर हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से लगभग 13 किमी की दूरी पर स्थित शोघी में है। देवी तारा को समर्पित यह मंदिर, तारा पर्वत पर बना हुआ है। तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए भी हिन्दू धर्म की देवी ‘तारा’ का काफी महत्व है।
माना जाता है कि महर्षि वशिष्ठ ने तारा देवी की आराधना की थी। तारा देवी के तीन स्वरूप हैं- तारा, एकजुटा और नील सरस्वती। वह ऐश्वर्य, आर्थिक उन्नति, भोग और मोक्ष की देवी हैं। चैत्र मास की नवमी तिथि और शुक्ल पक्ष के दिन तारा रूपी देवी की साधना करना र्सिद्धिकारक माना गया है। गुप्त नवरात्र का दूसरा दिन इनके नाम है। जो भी साधक या भक्त माता की मन से प्रार्धना करता है उसकी कैसी भी मनोकामना हो वह पूर्ण हो जाती है।
तारा माता का मंत्र : नीले कांच की माला से बारह माला प्रतिदिन ‘ऊँ ह्नीं स्त्रीं हुम फट’ मंत्र का जाप कर सकते हैं। वाक सिद्धि, रचनात्मकता, काव्य गुण के लिए शीघ्र मदद करती है। साधक की रक्षा स्वयं मां करती है इसलिये वह आपके शत्रुओंको जड़ से खत्म कर देती है। साधना के लिये लाल मूंगा, स्फटिक या काला हकीक की माला का इस्तेमाल करे। 121 की 3 माला करे।
मातर्तीलसरस्वती प्रणमतां सौभाग्य-सम्पत्प्रदे प्रत्यालीढ –पदस्थिते शवह्यदि स्मेराननाम्भारुदे ।
फुल्लेन्दीवरलोचने त्रिनयने कर्त्रो कपालोत्पले खड्गञ्चादधती त्वमेव शरणं त्वामीश्वरीमाश्रये ॥
तारा स्तुतिः “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट”