-
Advertisement
छठ पूजा के समय ये तस्वीरें झकझोर रहीं, यमुना जी झाग से लबालब, कौन लेगा जिम्मेदारी?
नई दिल्ली। इंटरनेट (Internet) पर यमुना नदी की कुछ तस्वीरें आजकल काफी तैर रही है। छठ पर्व के कारण दिल्ली में रहने वाले यूपी व बिहार के प्रवासी इन दिनों युमना घाट पर पहुंच रहे हैं। पूजा अर्चना कर रहे हैं। मगर, हर साल की भांति इस साल भी छठ के मौके पर यमुना नदी के घाटों से हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई है। यमुना जी में झाग ही झाग दिख रहा है। वहीं, इन तस्वीरों को शेयर कर काफी मजाक भी बनाया जा रहा है और कोई इन्हें कश्मीर तो कोई अंटार्कटिका की बता रहा है।
दरअसल, ये दिखने में बर्फ की तरह है, लेकिन यह झाग हैं। अब यमुना में बह रहे झाग की काफी चर्चा हो रही है। इन तस्वीरों से साफ पता चलता है कि पानी में काफी मात्रा में झाग बन रहे हैं। इसे लेकर कई तरह की रिपोर्ट्स भी सामने आते रहती है।
यह भी पढ़ें: सूर्य देव को समर्पित है छठ पूजा, जानिए कितने दिन चलती है पूजा और क्या है विधि
पानी में क्यों बनते हैं झाग?
वैसे तो पानी में झाग बनना एक आम प्रक्रिया है। दरअसल, पेड़-पौधों के मृत और सड़ने वाले हिस्सों में वसा के अणु होते हैं, जो पानी में अच्छे से धुल नहीं पाते हैं। ये हिस्से पानी की सतह पर एक अदृश्य परत के रूप में बने होते हैं, लेकिन जब पानी हिलता है, लहरें आदि आती हैं या फिर झरने से पानी गिरता है तो यह परत झाग में बदल जाते हैं। ये भी साबुन के झाग की तरह ही होते हैं।
लेकिन, यमुना वाले झाग काफी अलग हैं और काफी ज्यादा है। झाग की ये ज्यादा मात्रा प्राकृतिक वजह से नहीं, बल्कि सीवरेज और उद्योगों से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल के कारण बनते हैं। द प्रिंट के एक रिपोर्ट में विज्ञान और पर्यावरण केंद्र में जल कार्यक्रम के साथ काम करने वाली वैज्ञानिक सुष्मिता सेनगुप्ता द्वारा बताया गया है कि यमुना में फॉस्फेट के उच्च स्तर की वजह से काफी ज्यादा झाग का निर्माण होता है।
आपको जानकार हैरानी होगी कि इसी फॉस्फेट का इस्तेमाल डिटर्जेंट में होता है। जिसका उपयोग हम और आप घर में कपड़े धोने में करते हैं। हालांकि, नदियों के पानी में फॉस्फेट की मात्रा भी होती है। जो पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को कंट्रोल करती है। मगर यमुना में मात्रा काफी ज्यादा है, इस वजह से यह काफी नुकसानदायक भी है।
प्रदूषण के कारण फॉस्फेट बढ़ रहा
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना में फॉस्फेट की मात्रा 6.9 मिलीग्राम / लीटर से लेकर 13.42 मिलीग्राम / लीटर तक है। वैसे इतनी मात्रा तो साबुन या सर्फ में नहीं रहती है। बता दें कि ज्यादा फॉस्फेट त्वचा में जलन पैदा करता है, इससे झाग भी काफी ज्यादा नुकसानदायक हो जाते हैं। वैसे जो नदी में फॉस्फेट होता है, वो बहता पानी खुद क्लीन कर लेता है, लेकिन ज्यादा मात्रा की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह पानी में प्रदूषण, गंदगी आदि है और इस वजह से ही फॉस्फेट बढ़ रहा है।
दिल्ली को बताया जिम्मेदार
वहीं, बीते जनवरी महीने में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने यमुना को दूषित करने का जिम्मेदार दिल्ली को बताया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)ने को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) को बताया कि दिल्ली सरकार यमुना नदी (Yamuna river) में प्रदूषण पैदा करने के मामले में एक आदतन अपराधी है। पूर्व चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव और विनीत सरन की अध्यक्षता वाली बेंच प्रदूषित नदियों को साफ करने के मुद्दे से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी। CPCB का प्रतिनिधित्व करने वाली अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बेंच के समक्ष दलील दी।
वहीं, पूर्व सीजेआई की बेंच ने नदी की निगरानी पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT)की ओर से नियुक्त समिति को भी कोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था। साथ ही मामले में एक पक्ष बनाया था। बीते 13 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण-मुक्त पानी संवैधानिक ढांचे के तहत मूल अधिकार है और सीवेज अपशिष्टों की ओर से नदियों के दूषित होने के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया था। इससे पहले दिल्ली जल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा कि प्रदूषक तत्वों के निर्वहन के कारण यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा है।
हिमाचल और देश-दुनिया की ताजा अपडेट के लिए join करें हिमाचल अभी अभी का Whats App Group